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Buxar Top News: गुरु पूर्णिमा के अवसर पर त्रिदंडी स्वामी जी महाराज समाधी स्थल पर हुआ गुरु का पादुका पूजन, जिले भर में की गयी गुरु की आराधना ..



हजारों भक्तों ने परम संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज का दर्शन करने के उपरांत इंदौर में चल रहे चातुर्मास यज्ञ में पहुंचकर लक्ष्मी प्रपन्न श्री जीयर स्वामी जी महाराज के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया.

- संध्याकालीन कथा में भक्तों ने किया भागवत कथा रस का पान.
- त्रिदंडी स्वामी स्थल पर माथा टेकने के बाद जीयर स्वामी जी महाराज के दर्शन को रवाना हुए भक्त.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर परम संत त्रिदंडी स्वामी समाधि स्थल पर गुरु पूजन एवं भव्य भंडारा का कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का सफल संचालन श्री नरसिंह मंदिर प्रह्लाद घाट काशी वाराणसी एवं  श्री त्रिदंडी देव समाधि स्थल मंदिर बक्सर के पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री अयोध्या नाथ जी महाराज की पावन उपस्थिति में किया गया. इस अवसर पर दिन में 10:00 बजे से 12:00 बजे तक परम पूज्य श्री त्रिदंडी स्वामी जी  महाराज  की चरण पादुका पूजन अभिषेक इत्यादि श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी के कृपापात्र शिष्य जगतगुरु बद्रीनाथ "बनमाली जी" के साथ वाराणसी से आए हुए ब्राम्हण आचार्यों के द्वारा वैदिक मंत्रोचार के द्वारा किया गया उसके पश्चात  अपराह्न 1:00 बजे से  भव्य भंडारा का आयोजन  समाधि स्थल मंदिर पर किया गया. उक्त अवसर  महाराज हरि ओम स्वामी, श्रीकांत स्वामी, जितेंद्र स्वामी, वैकुंठ स्वामी, अतच्युत स्वामी, उमेश उपाध्याय की उपस्थिति में हजारों भक्तों ने परम संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज का दर्शन करने के उपरांत इंदौर में चल रहे चातुर्मास यज्ञ में पहुंचकर लक्ष्मी प्रपन्न श्री जीयर स्वामी जी महाराज के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया.


श्रीत्रिदंडी देव समाधि स्थल मंदिर चरित्रवन में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा कह रहे श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के शिष्य जगतगुरु बद्रीनाथ "बनमाली"जी महाराज ने भक्ति की महिमा को बताते हुए कहा की  भगवान में आशक्ति ,अनुरक्ति,प्रीती ही भक्ति के स्वरूप् है.भक्ति के बिना तो जीवन ही नीरस है. लेकिन अगर भक्ति भी ज्ञान और वैराग्य के बिना हो अर्थात इनसे बिलग हो तो वह किसी काम की नही होती. वह भक्ति निशाचरी हो जाती है. जैसे राक्षसो की भक्ति निशाचरी होती है. इसलिए भक्ति को ज्ञान और वैराग्य के साथ ही पूर्ण और सात्विक माना जाता है.

भागवत हमे विश्वास को दृढ़ करने की शिक्षा देती है. क्योंकि विश्वास दृढ़ नही होगा तो फिर कोई लाभ नही.आज गुरु पूर्णिमा के सुअवसर पर हम सभी लोगो को चाहिए की गुरु जी से ये निवेदन करे की हमारी मति गुरु जी के वचनो पर ही दृढ़ हो. क्योंकि गुरु जी के वचनो मति दृढ़ होगी तो फिर परमात्म प्राप्ति का मार्ग खुल जायेगा. भेद बुद्धि लेकर गुरु जी के पास नही जाना चाहिए. यह अपराध होता है.


















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