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Buxar Top News: बड़ी खबर: थानेदार द्वारा जमीन बेचे जाने की बात साबित हुई झूठी ..



 कुछ शरारती तत्वों द्वारा गलत तरीके से उस जमीन को थाने की जमीन प्रचारित करते हुए फर्जी नामों का इस्तेमाल करते हुए झूठी शिकायत पुलिस के वरीय अधिकारियों को दी गई है. 

- ग्रामीणों ने कहा हमने नहीं की है कोई शिकायत
- एसपी को दिया शिकायती पत्र

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: नावानगर में थानेदार द्वारा छह लाख रुपये में थाने की जमीन बेचे जाने की बात पूरी तरह से भ्रामक साबित होती दिखाई दे रही है.यही नहीं मामले को लेकर पुलिस को दी गई सूचना भी फर्जी बताई गयी है.  जिन व्यक्तियों के द्वारा सूचना दिए जाने की बात पुलिस के वरीय पदाधिकारियों द्वारा बताई गई वे सभी लोग शिकायत किए जाने की बात से पूरी तरह से इंकार कर रहे हैं.


हालांकि, थानेदार द्वारा थाने की जमीन बेच दिए जाने का मामला अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है. इसलिए मामले की तफ्तीश करने भी आवश्यक है. इसी संदर्भ में हमने सबसे पहले अवर निबंधन पदाधिकारी डॉक्टर यशपाल से बातचीत की उन्होंने बताया कि पिछले तीन माह के भीतर नावानगर थानाध्यक्ष द्वारा किसी प्रकार की जमीन की रजिस्ट्री उनके यहां नहीं की गई. अवर निबंधन पदाधिकारी की इस बात से यह स्पष्ट हो गया की थानेदार द्वारा जमीन बेचे जाने की बात पूरी तरह से भ्रामक है.


ग्रामीणों ने कहा फर्जी है शिकायत, कर रहे हैं शिकायत: 
लेकिन फिर भी हमने गांव के ग्रामीणों से इस विषय पर बात की. मुखिया प्रतिनिधि अरविंद कुमार सिंह उर्फ मुन्ना सिंह द्वारा बताया गया कि मामले में दिए गए शिकायती पत्र में उनका तथा अन्य ग्रामीणों का नाम बताया जा रहा है. जो कि सरासर गलत बात है. उन्हें ने या किसी अन्य ग्रामीण ने कभी इस तरह का शिकायती पत्र किसी अधिकारी को नहीं दिया है. हालांकि, थाने की जमीन के बगल से रास्ता जाने की बात से उन्होंने भी इनकार नहीं किया.


हनुमान मंदिर के लिए जिस व्यक्ति ने दी थी जमीन उसे ही मिला है सरकारी जमीन में रास्ता:

मुखिया प्रतिनिधि ने जो सच्चाई बताई वह चौंकाने वाली थी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में स्थानीय रामराज राय द्वारा तत्कालीन थानेदार की पहल पर हनुमान मंदिर बनाने के लिए अपनी जमीन थाने को दी गई थी. उसी जमीन के कारण थाने के परिसर से होते हुए उनके द्वारा आवाजाही की जाती रही. बाद में संभवत: पुलिस अधिकारियों द्वारा आपत्ति जताने पर थानेदार ने उस रास्ते को बंद करवा दिया. जिसके बाद रामराज राय द्वारा थाने के बगल में स्थित जमीन से आने जाने का रास्ता बना लिया गया. दरअसल, थाने के बगल में की जमीन सरकारी जमीन है. जहां पहले मवेशियों को बांधा जाता था. उसी जमीन पर रामराज राय द्वारा रास्ता बनाते हुए दरवाजा भी लगा लिया गया है. लेकिन कुछ शरारती तत्वों द्वारा गलत तरीके से उस जमीन को थाने की जमीन प्रचारित करते हुए फर्जी नामों का इस्तेमाल करते हुए झूठी शिकायत पुलिस के वरीय अधिकारियों को दी गई है. 

गलत नामों का इस्तेमाल करते हुए भेजा गया है शिकायती पत्र:

उन्होंने बताया कि उनके नाम का गलत इस्तेमाल करने वालों का वह पता लगा रहे हैं. वहीं मामले में ऐसे लोगों के विरुद्ध क़ानूनी कारवाई करने संबंधी आग्रह पत्र उनके तथा अन्य ग्रामीणों के द्वारा एसपी को दिया गया है. 


डीएसपी ने कहा, नहीं मिली है जमीन बेचे जाने की शिकायत:

मामले में डुमराँव डीएसपी कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि सूचना मिली थी कि थाने की जमीन को किसी व्यक्ति द्वारा रास्ते के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, छह लाख रुपए में जमीन पर जाने की बात नहीं कही गई थी. इस बात की सूचना मिलते ही डुमराव सर्किल इंस्पेक्टर अविनाश कुमार सिंह के द्वारा मामले की तफ्तीश की गई तो पाया गया कि थाने के बगल की जमीन में रास्ता बना लिया गया है. हालांकि, ग्रामीणों ने उनके समक्ष यह स्वीकार किया कि ना तो इस जमीन की रजिस्ट्री की बात कही उनके द्वारा कही गई है और ना ही उनके द्वारा कभी इस बात की शिकायत की गई है. 

अब सवाल यह उठता है कि जब जमीन बेची जाने की बात है ही नहीं तो इस तरह की बात आई कहां से और कैसे इस झूठे तथ्य ने समाचार पत्र में भी जगह भी पा ली? यह अपने आप में एक सोचने वाली बात है तथा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर भी सवालिया निशान उठा रहे हैं.




















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