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Buxar Top News: विजयादशमी महोत्सव: ताड़का वध कर मर्यादा पुरुषोत्तम ने रखा मुनियों का मान, श्री राम के जयघोष से गूँजा बक्सर ..



मुंह ना दिखाने पर गोपी को श्रीकृष्ण ने क्रोधित स्वर में कहा, तुम अभी अपना मुंह नहीं दिखा रही हो ऐसा भी समय आएगा जब तुम मेरा मुंह देखने को तरस जाओगी

कृष्णलीला मंचन का दृश्य

- खुद की पूजा रोक गोवर्धन की पूजा होने से क्रोधित हुए इंद्रदेव.

- गोवर्धन पर्वत को उठा कर श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों को मूसलाधार बारिश से बचाया.


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर:  श्री रामलीला मैदान में चल रहे 21 दिवसीय विजयदशमी महोत्सव के दौरान रविवार को देर रात्रि राम लीला मंचन के दौरान विश्वामित्र आगमन,  माता से विदाई व ताड़का वध नामक प्रसंग का मंचन किया गया.

जिसमें दिखाया गया कि बक्सर निवासी महर्षि विश्वामित्र जब भी यज्ञ करने को तत्पर होते तो राक्षस आकर यज्ञ को नष्ट-भ्रष्ट कर देते थे. मुनि इन राक्षसों को भय दिखाकर भगा देते थे. परंतु यज्ञ को लेकर उनकी चिंता बढ़ जाती है. उनकी सुरक्षा को लेकर काफी चिंता करने के पश्चात अवधपुरी को प्रस्थान करते हैं. अवधपुरी पहुंचने पर अयोध्या नरेश राजा दशरथ द्वारा महर्षि का भव्य स्वागत होता है. आने का प्रयोजन पूछे जाने पर यज्ञ की सुरक्षा के लिए राजा दशरथ से राम व लक्ष्मण दोनों भाइयों की मांग करते हैं.

पहले तो अयोध्या नरेश इनकार कर देते हैं.परंतु गुरु वशिष्ठ के बहुत समझाने पर बाद में दोनों भाइयों को देने को तैयार हो जाते हैं. गुरु वशिष्ठ के बहुत समझाने पर राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ बक्सर वन का प्रस्थान करते हैं. मार्ग में आतंक की पर्याय ताड़का राक्षसी मिलती है. गुरुदेव की आज्ञा पाकर श्रीराम उस राक्षसी का अपने बाणों से वध कर उसका उद्धार करते हैं. महर्षि प्रसन्न होकर दोनों को अपनी कुटिया में ले जाते हैं. जहां उन्हें सभी विद्याओं से परिपूर्ण करते हैं.

यह दृश्य देख दर्शक "जय श्रीराम" का जयघोष करने लगे.

इस दौरान राम लीला पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पड़ा था दूसरी तरफ इसके पूर्व दिन में श्री कृष्ण लीला मंचन के दौरान मीराबाई प्रसंग का मंचन किया गया. 

जिसमें दिखाया गया कि मीराबाई पूर्व जन्म में ब्रज की श्यामा नामक गोपी होती है. जिसका विवाह ब्रज में ही रहने वाले सबल नामक ग्वाला से होता है. एक बार सबल जब श्यामा गोपी को ससुराल से लेकर आते हैं, तभी मार्ग में उन्हें श्री कृष्ण मिल जाते हैं.श्री कृष्णा गोपी से उन्हें अपना मुंह दिखाने को कहते हैं.गोपी उन्हें यह कह कर मना कर देती है कि तुम वही कृष्ण हो जो गोपियों के यहां दही चुराते हो. तब श्री कृष्ण ने  क्रोधित  होते हुए कहा कि आज तुम अपना मुंह नहीं दिखा रही हो. एक दिन ऐसा आएगा कि तुम हमारा मुंह देखने को तरस जाओगे. यह कथन कह कर श्री कृष्ण चले जाते हैं. 


इधर बृजवासी इंद्र की पूजा कर रहे होते हैं. श्री कृष्ण इंद्र की पूजा रोककर गोवर्धन की पूजा करवाते हैं. यह देखकर इंद्र क्रोध में मूसलाधार बारिश करवाते हैं. जो देख सारे ब्रजवासी चिंतित हो जाते है. तब श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत अपनी उंगलियों पर धारण कर ब्रज वासियों को सुरक्षा देते हैं. यह देख कर गोपी श्यामा श्री कृष्ण के समीप जाकर क्षमा मांगती है, परंतु श्री कृष्ण अपना मुंह नहीं दिखाते हैं और श्यामा से कहते हैं कि जब तुम अगले जन्म में मीरा बन कर आओगी. तब मैं तुमसे एक संत के यहां मिलूंगा. यह दृश्य देख दर्शक भाव विभोर हो गए.

श्री धाम वृंदावन से पधारे सर्वश्रेष्ठ लीला मंडल "श्री श्यामा श्याम" रामलीला रासलीला मंडल के स्वामी श्री शिवदयाल शर्मा (दत्तात्रेय) जी के सफल निर्देशन में उनके टीम के पारंगत कलाकार द्वारा सभी लीलाओं लीलाओं का  मंचन किया गया. इस दौरान समिति के पदाधिकारियों में रामावतार पांडेय, बैकुंठ नाथ शर्मा, हरिशंकर गुप्ता, कृष्ण कुमार वर्मा, साकेत कुमार, चंदन, कमलेश्वर तिवारी, उदय सर्राफ, जोखन, राजकुमार गुप्ता, नारायण राय आदि उपस्थित रहे.




















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