49 वां सिय-पिय मिलन महोत्सव: गोपाल भक्त की भक्ति में स्वम् डूबे भगवान, तो वहीं श्री राम जन्म प्रसंग देखकर अभिभूत हुए श्रद्धालु ..
महोत्सव के दौरान वृंदावन के प्रसिद्ध राधाकृष्ण रासलीला संस्थान के सदस्यों द्वारा अध्यक्ष स्वामी फ़तेह कृष्ण जी महाराज के निर्देशन में कृष्ण लीला का आयोजन हुआ. जिसमें गोपाल भक्त लीला का मंचन किया गया.
- सिय-पिय मिलन महोत्सव से भक्तिमय हुई महर्षि विश्वामित्र की नगरी.
- विभिन्न धार्मिक आयोजनों से हो रहा आस्था का संसार
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: विश्व प्रसिद्ध सिय-पिय मिलन महोत्सव के दौरान बक्सर में भक्ति रस धारा का निरंतर प्रवाह हो रहा है. महोत्सव में शामिल होने के लिए दूरदराज से संत समाज के लोगों के साथ-साथ श्रद्धालुओं का भी आगमन शुरू हो गया है. महोत्सव के दौरान वृंदावन के प्रसिद्ध राधाकृष्ण रासलीला संस्थान के सदस्यों द्वारा अध्यक्ष स्वामी फ़तेह कृष्ण जी महाराज के निर्देशन में कृष्ण लीला का आयोजन हुआ. जिसमें गोपाल भक्त लीला का मंचन किया गया.
इस दौरान दिखाया गया के गोपाल नामक भक्त संतो के समीप पहुंचता है संत कहते हैं कि संसार में कोई किसी का नहीं है. सारे रिश्ते नाते झूठे हैं. गोपाल को जिज्ञासा होती है तो वह संतों से सवाल पूछता है कि आखिर आप ऐसा कैसे कह सकते हैं. तब संतों ने कहा कि तुम आज घर जाकर मरने का नाटक करना, फिर देखना. गोपाल अपने घर जाकर मरने का नाटक करता है. संत गोपाल के घर पहुंच जाते हैं. संत गोपाल के परिजनों से कहते हैं कि हम गोपाल को जीवित कर देंगे हमारे पास मंत्रों से सिंचित एक ऐसा जल है जिसे पीने पर गोपाल जीवित हो जाएगा. लेकिन पीने वाला मर जाएगा. परिवार वाले जल पीने से मना कर देते हैं. पत्नी, माता, पिता सभी जल पीने से इनकार कर देते हैं.ऐसे में गोपाल का संसार से मोह भंग हो जाता है तथा वह संतों के साथ हो लेता है.संत आश्रम में गोपाल को गाय चराने की सेवा देते हैं. गोपाल प्रतिदिन गायों को लेकर जंगल में जाता है.जाते समय उसे एक व्यक्ति के भोजन बनाने का सामान दिया जाता है तथा यह कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम को भोग लगा कर फिर भोजन ग्रहण करना. क्योंकि भगवान श्रीराम ही तुम्हारे माता-पिता बंधु बांधव सब कुछ हैं. इस बात को मानकर वह जंगल में जाकर भोजन बनाकर भगवान श्रीराम को याद करते हैं, प्रभु राम प्रकट होते हैं तथा सारा भोजन कर जाते हैं. ऐसे में वह भूखा रह जाता है.
अगले दिन वह दो आदमियों का भोजन लेकर जाता है. लेकिन अगले दिन भगवान श्री राम माता सीता के साथ वहां पहुंच जाते हैं ऐसे में उस दिन भी वह भूखा रह जाता है तीसरे दिन वह 3 लोगों का भोजन लेकर जाता है लेकिन श्री राम माता सीता तथा लक्ष्मण के साथ पहुंच जाते हैं जिसके बाद उस दिन भी वह भूखा रह जाता है ऐसे करते-करते लक्ष्मण शत्रुघ्न तथा हनुमान जी भी वहां पहुंच जाते हैं इधर गोपाल प्रतिदिन ज्यादा भोजन सामग्री मांगता है जिससे आश्रम वासियों को संदेह होता है कि गोपाल कहीं भोजन सामग्री बेच तो नहीं रहा संदेश को दूर करने के लिए उसके गुरुवर स्वयं उसके पीछे पीछे जंगल पहुंचते हैं. वहां वह देखते हैं कि गोपाल प्रभु श्री राम की सेवा कर रहा है तथा हनुमान जी जंगल से लकड़ी ला रहे हैं वही भरत लाल जी पानी ला रहे हैं तथा शत्रुघ्न जी झाड़ू लगा रहे हैं गुरु विस्मय से गोपाल के पास जाकर खड़े हो जाते हैं. अब गोपाल गुरु के चरणों में दंडवत हो जाता है तथा मंच से ध्वनि आती है "गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागे पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए" तथा तीसरे दिन की लीला समाप्त होती है. वहीं श्रद्धालु दर्शकों की जय-जयकार से पूरा माहौल भक्ति मय हो जाता है.
अयोध्या में हुआ राम का जन्म, मदारी बनकर पहुंचे भगवान शंकर:
रात्रि की लीला में राम जन्म लीला का मंचन किया जाता है. जिसमें दिखाया जाता है कि दशरथ जी अपने दरबार में उदास बैठे हैं. मंत्री सुमंत कहते हैं कि आप क्यों दुखी हैं तब दशरथ जी बताते हैं कि उनकी कोई संतान नहीं है. इसलिए बहुत दुखी है. तब सुमंत जी कहते हैं कि आप वशिष्ठ जी को अपनी बात सुनाएं. राजा दशरथ वशिष्ट जी के पास पहुंचते हैं. वशिष्ट जी ने उन्हें सरयू नदी के तट पर पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह देते हैं. तत्पश्चात राजा दशरथ सरयू नदी के तट पर बैठ यज्ञ प्रारंभ करते हैं. यज्ञ के दौरान अग्नि देव प्रकट होते हैं तथा खीर का प्रसाद उन्हें प्रदान करते हुए कहते हैं कि यह प्रसाद अपनी रानियों को खिलाना. जिसके बाद तुम्हे चार पुत्र उत्पल होंगे. अग्निदेव की बात मान राजा दशरथ रानियों को प्रसाद खिलाते हैं, जिससे 4 पुत्र प्राप्त होते हैं. रघुकुल के वंशजों के जन्म के साथ ही अयोध्या में मंगलाचार सुनाई देने लगता है. भगवान शंकर स्वयं मदारी का वेश धर हनुमान जी के साथ वहां पहुंचते हैं. इसके साथ ही लीला प्रसंग का समापन होता है तथा भगवान के जयघोष वातावरण गुंजायमान हो जाता है.
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