मकर संक्रांति पर इस वर्ष बन रहा सर्वार्थसिद्धि योग, राजनीतिक परिवर्तन के भी हैं संकेत ..
15 जनवरी को सुबह से ही अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, मंगलाश्विनी अमृतसिद्धि योग व राजप्रद योग का संयोग बन रहा है. चूंकि इस बार संक्रांति का वाहन सिंह और उपवाहन हाथी है, इस कारण साल भर काम की अधिकता औऱ राजनीतिक परिवर्तन सहित कई अन्य बदलाव देखने को मिलेंगे
- बेला के फूल से प्रसन्न होकर धन-धान्य प्रदान करते हैं सूर्य देव
- अलग-अलग राशियों के लिए अलग-अलग दान है लाभकारी.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सूर्य के उत्तरायण होने यानी मकर राशि में प्रवेश पर दान-पुण्य और पतंगबाजी का पर्व मकर संक्रांति मनाया जाता है. इस बार यह पर्व दो दिन यानी 14 और15 जनवरी को मनाया जाएगा. इसका कारण है सूर्यास्त के बाद सूर्य का राशि परिवर्तन होना. सूर्य 14 जनवरी को शाम 08.06 बजे राशि परिवर्तन कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त के बाद हो रहा है, ऐसे में पुण्यकाल और मकर संक्रांति के तहत 15 जनवरी को दान पुण्य होगा. हालांकि लोग 14 जनवरी भी मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे.
15 जनवरी को बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग:
इस बार मकर संक्रांति की खास बात यह है कि इस बार चार संयोग भी बन रहे हैं. पंडित सर्वेश चतुर्वेदी के मुताबिक मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य के दक्षिणायण से उत्तरायण होने के कारण भारत सहित उत्तरी गोलार्ध के क्षेत्रों में सूर्य की किरणें सीधी पडऩे से ऋतु परिवर्तन भी होगा. इससे दिन बड़े व रातें छोटी होने लगेंगी. ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर सोमवार 14 जनवरी को रेवती नक्षत्र में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. दूसरी ओर 15 जनवरी को सुबह से ही अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, मंगलाश्विनी अमृतसिद्धि योग व राजप्रद योग का संयोग बन रहा है. चूंकि इस बार संक्रांति का वाहन सिंह और उपवाहन हाथी है, इस कारण साल भर काम की अधिकता औऱ राजनीतिक परिवर्तन सहित कई अन्य बदलाव देखने को मिलेंगे.
सूर्य की गति से तय होती है तिथि:
संक्रांति में पुण्यकाल का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति सूर्य दर्शन का पर्व है इसलिए इसका पुण्यकाल सूर्य की मौजूदगी में ही होता है. मान्यता है कि यदि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश शाम या रात में होता है, तो पुण्यकाल अगले दिन के लिए स्थानांतरित हो जाता है. इस बार 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि को छोड कर मकर राशि में रात 08 बजकर 06 मिनट पर प्रवेश करेगा. इस कारण पुण्यकाल दूसरे दिन यानी 15 जनवरी को होगा.
ऐसे होता है तिथि में बदलाव:
खगोल शास्त्रियों के अनुसार पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए 72 से 90 सालों में एक डिग्री पीछे हो जाती है. इस कारण सूर्य एक दिन देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि मकर संक्रांति का समय 72 से 90 साल में एक दिन आगे खिसक जाता है. वर्ष 2014 से 2016 तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गई थी. इसके बाद 2017 व 2018 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को था. इस वर्ष 2019 और अागामी वर्ष 2020 में मकर संक्रांति का पर्व15 जनवरी को मनाया जाएगा. इससे पहले 1900 से 2000 तक यह पर्व 13 व 14 जनवरी को मनाया गया था. वर्ष 1933 व 38 सहित कुछ साल में यह पर्व 13 जनवरी को भी मनाया गया था. हर साल सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के समय में कुछ मिनट की देरी होती है और इस कारण हर साल यह समय बढ़ता रहता है. लगभग 80 से 100 साल में यह समय एक दिन अागे बढ़ जाता है. इस तरह वर्ष 2080 से यह पर्व 15 और16 जनवरी को मनाया जाने लगेगा.
अलग-अलग नाम से मनाई जाती है संक्रांति:
मकर संक्राति को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग नामों से जाना जाता है. आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में इसे संक्रांति कहा जाता है, वहीं बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह खिचड़ी पर्व के रूप में लोकप्रिय है. तमिलनाडु में इसे पोंगल तो गुजरात और आसपास के क्षेत्रों में इसे उत्तरायण पर्व कहा जाता है.
सूर्य देव को ऐसे करें प्रसन्न:
– शास्त्रों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है.
– रविवार के दिन गाय को गेहूं और गुड़ खिलाने या ब्राहमण को दान देने से पुण्य मिलता है.
– विष्णु पुराण के अनुसार रविवार के दिन सूर्य देव को आक का एक फूल श्रद्धा पूर्वक अर्पित करने से धन प्राप्ति के योग बनते हैं.
– रात के समय कदम्ब और मुकुर के फूल अर्पित करना श्रेयस्कर माना जाता है.
– सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेला का फूल ही एक ऐसा फूल है जिसे दिन या रात किसी भी वक्त चढ़ा सकते हैं.
– इसके अलावा गुंजा, धतूरा, अपराजिता और तगर आदि के फूल कभी सूर्य देव को नहीं अर्पित करने चाहिए.
मकर संक्रांति पर दान का है महत्त्व:
– मकर संक्रांति के दिन स्नान व दान का महत्त्व है. अगर स्नान गंगा या कोई अन्य पवित्र नदी में हो तो ज्यादा बेहतर होता है.
– मंगलवार 15 जनवरी को संक्रांति के तहत पुण्यकाल सुबह 7.15 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक है.
मकर संक्रांति के दिन राशि के अनुसार करें दान:
मकर संक्रांति पर सभी लोग सामान्य रुप से तिल, गुड़, खिचड़ी और कंबल का दान कर सकते हैं. वैसे राशि के अनुसार दान कर भी शुभ फल की प्राप्ति की जा सकती है.
मेष : तांबा की वस्तु, दही
वृष : चांदी, तिल
मिथुन : पीला वस्त्र, गुड़
कर्क : सफेद ऊन, तिल
सिंह : गुड़, गेहूं
कन्या : हरा मूंग, तिल
तुला : गुड़, सात तरह के अनाज
वृश्चिक : लाल वस्त्र, दही
धनु : पीला वस्त्र, गुड़
मकर : कंबल, गुड़
कुंभ : कंबल, घी
मीन : चना दाल, तिल
मकर संक्रांति 2019:
– 15 जनवरी, मंगलवार
– पुण्य काल का समय 15 जनवरी 2019 को सुबह 7:18 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक.
– महा पुण्य काल का समय 15 जनवरी 2019 की सुबह 7:18 से 9:02 बजे तक.
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