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वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान से हुई ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की पूजा ..

जिले में आज उपासकों ने माता की विधि विधान से अबीर-गुलाल चढ़ा कर माँ की पूजा-अर्चना की तथा उनकी कृपा का आशीर्वाद माँगा.  नगर समेत जिले के कई स्थानों पर माँ की प्रतिमाओं की स्थापना की गयी है.

- शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ पूजा समितियों के द्वारा की गई माँ की आराधना.
- प्रशासनिक आदेश का हुआ अनुपालन, डीजे पर रहा पूर्णत: प्रतिबंध.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: देश भर में आज सरस्वती पूजा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जिले में आज उपासकों ने माता की विधि विधान से अबीर-गुलाल चढ़ा कर माँ की पूजा-अर्चना की तथा उनकी कृपा का आशीर्वाद माँगा.  नगर समेत जिले के कई स्थानों पर माँ की प्रतिमाओं की स्थापना की गयी है. हालांकि, इस बार डीजे नहीं बजाने के प्रशासनिक आदेश का भी पूरी तरह से अनुपालन किया जा रहा है. नगर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में भी माँ शारदे की विधि-विधान से पूजा की गई. नगर के राज कोचिंग सेंटर, पांडेय पट्टी स्थित लोयोला स्कूल, राजपुर स्थित आई प्ले आई लर्न स्कूल समेत कई जगहों पर माता की पूजा की गई. 

 वसंत पंचमी के दिन माँ की आराधना की कथा:

हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की. उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए. लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई. इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई. उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा. जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया. बहते पानी की धारा में आवाज़ आई, हवा सरसराहट करने लगी, जीव-जन्तु में स्वर आने लगा, पक्षी चहचहाने लगे. तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया. वह दिन बसंत पंचमी का था. इसी वजह से हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी.  

संरस्वती मां का वंदना मंत्र

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता 
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ 

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं 
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। 
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ 
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

कैसे करें मां सरस्‍वती की पूजा?
स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजी जाती हैं. अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा करें तो इन बातों का ध्यान रखें.
  • 1. सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें
  • 2. पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें.
  • 3. पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें, और बच्चों को पूजा में शामिल करें.
  • 4. इस दिन पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, पूजा के वक्त या फिर पूरे दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
  • 5. बच्चों को पुस्तकें तोहफे में दें.
  • 6. पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें.











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