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खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए बक्सर के किसानों ने सीखी अंतरराष्ट्रीय तकनीक ..

विशेषज्ञों ने बताया कि रसायनिक खाद के उपयोग में कमी कर देसी गाय के मल-मूत्र  तथा नीम पत्ता का प्रयोग खेतों में किया जाए. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी. खेतों में केंचुआ खाद का उपयोग आवश्यक बताया गया.

- एग्रीकल्चर एंड हार्टी एक्सपो तथा वर्ल्ड ऑर्गेनिक एक्सपो में भाग लेने पहुंचे हैं 33 किसान.
- दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित है कार्यक्रम देश-विदेश से किसानों ने लिया है हिस्सा.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: दिल्ली के प्रगति मैदान में तीन दिवसीय इंटरनेशनल एग्रीकल्चर हॉर्टी एक्सपो और व‌र्ल्ड ऑर्गेनिक एक्सपो में भाग लेने गए किसानों ने शुक्रवार को ऑर्गेनिक खेती के गुर सीखे. एक्सपो के पहले दिन विभिन्न राज्यों के लगे स्टॉल पर सब्जी, पौधे, सब्जी मसाला, जल संरक्षण, जैविक व हरा उर्वरक सम्बंधित जानकारी मिली.

किसानों ने फोन पर बताया कि यहां खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए फसल चक्र को अपनाने पर जोर दिया गया. विशेषज्ञों ने बताया कि रसायनिक खाद के उपयोग में कमी कर देसी गाय के मल-मूत्र  तथा नीम पत्ता का प्रयोग खेतों में किया जाए. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी. खेतों में केंचुआ खाद का उपयोग आवश्यक बताया गया. 

गौरतलब हो कि, बक्सर से 33 किसानों का जत्था जिले से तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने गया है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) के प्रखंड तकनीक प्रबंधक अजय कुमार सिंह के नेतृत्व में किसानों ने एक्सपो में खेती सम्बंधित अपनी समस्या का निदान किया. एक्सपो में आए गेरूआबांध के प्रगतिशील किसान कमलेश पांडेय ने बताया कि जैविक सब्जी, दाल ,चावल व सब्जी मशाला की जानकारी मिली. जैविक का उपयोग खेती में  काफी लाभदायक है. रासायनिक उर्वरकों पर रोक लगाकर ऑर्गेनिक अपनाने की सलाह दी गई. साथ ही, पशुपालन सहित आम जनजीवन में उपयोग आनेवाली कई जानकारियां दी गई.खेतों में फसलों के अपशिष्ट पदार्थों को जलाने से मना किया गया. इसके लिए धान का पुआल तथा गेहूं का डंठल बिना जलाए दवा के प्रयोग से गलाएं. इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी. 


खेतों में फूल, सब्जी मशाला व सब्जी की खेती में जैविक खाद का प्रयोग किया जाए. आइसीएआर के प्रधान साइंटिस्ट डॉ.वाई.वी. सिंह ने बताया कि जैविक खेती से विभिन्न समस्याओं से निजात पाया जा सकता है. एक्सपो में बक्सर के विभिन्न प्रखंडो से बिहारी महतो, कृष्ण बिहारी राय, राघवेंद्र पांडेय, राजगृही साह, सन्तोष कुमार ओझा, धनपति नारायण सिंह सहित अन्य किसान शामिल रहे.








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