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नौ विभाग मिलकर पोषण की जगायेंगे अलख ..

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार बिहार में 54.5 प्रतिशत शिशुओं में 6 माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत हो पाती है. जबकि बक्सर  जिला  में केवल 31.4 प्रतिशत शिशु ही 6 माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत कर पाते हैं.

- पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा सितंबर माह. 
- "ऊपरी आहार” होगी इस बार की थीम.
- पोषण माह के लिए साप्ताहिक कैलेंडर जारी.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बेहतर पोषण स्वस्थ समाज की नींव होती है. पोषण स्तर में सुधार कर स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन की परिकल्पना साकार की जा सकती है. इसको ध्यान में रखते हुए सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है. इस दौरान जिला, परियोजना एवं आंगनवाड़ी केंद्र स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा. इसको लेकर आईसीडीएस निदेशक आलोक कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर विस्तार से निर्देश दिया है.

ऊपरी आहार होगी थीम : 

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री द्वारा पोषण अभियान की शुरुआत की गयी थी एवं सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया गया था. इसी क्रम में इस वर्ष भी सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा. ‘‘ऊपरी आहार इस वर्ष की थीम होगी। 6 माह से लेकर 2 साल तक के बच्चों के सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए 6 माह के बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की उपयोगिता बढ़ जाती है. लेकिन ऊपरी आहार के आंकड़ें इस पर अधिक बल देने की जरूरत को उजागर करता है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार बिहार में 54.5 प्रतिशत शिशुओं में 6 माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत हो पाती है. जबकि बक्सर  जिला  में केवल 31.4 प्रतिशत शिशु ही 6 माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत कर पाते हैं.

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शशिकांत पासवान ने पोषण माह के बारे में जानकारी देते हुये कहा की हमने सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को निर्देश जारी कर दिये हैं और विभागीय निर्देश का पालन पूरी तरह से किया जाएगा. कुपोषण के खिलाफ जंग मे विभाग पूरी तरह से सजग है तथा पूरे महीने कई गतिविधियां इसके लिए निर्धारित हैं.
  
नौ विभागों की होगी सहभागिता:

इस पोषण माह के दौरान आयोजित होने वाली गतिविधियों में आईसीडीएस के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज, ग्रामीण विकास(जीविका) ,लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, कृषि, नेहरू युवा केंद्र एवं महादलित विभाग भी सहयोग करेंगे. साथ ही जिलों में कार्यरत जिला समन्वयक, जिला परियोजना सहायक, स्वस्थ भारत प्रेरक, पीरामल फ़ाउंडेशन, केयर इंडिया एवं यूनिसेफ के कर्मी भी पोषण माह को सफल बनाने में योगदान देंगे.

पोषण सेमिनार से होगी शुरुआत: 

सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में जिला स्तर पर सेमिनार का आयोजन किया जाएगा. जिसमें पोषण के महत्व एवं पोषण अभियान के तहत की जाने वाली गतिविधियों पर चर्चा की जाएगी. इसमें सभी नौ विभागों के जिला स्तरीय प्रतिभागी शामिल होंगे. जबकि माह के प्रथम सप्ताह में प्रखण्ड या परियोजना स्तर पर अभिसरण कार्य योजना बैठक का आयोजन होगा.

जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर पोषण मेला का आयोजन: 

सितंबर माह के दूसरे सप्ताह में जिला स्तर पर एवं दूसरे एवं चौथे सप्ताह में प्रखंड स्तर पर पोषण मेला का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान विभिन्न सहयोगी विभाग पोषण मेला के आयोजन में सहयोग प्रदान करेंगे. इस दौरान विभिन्न स्टाल लगाकर पोषण संबंधित गतिविधियों का प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही आम लोगों को पोषण के संबंध में जागरूक भी किया जाएगा.

सामुदायिक गतिविधियों से पोषण पर जागरूकता: 

पोषण माह के दौरान सामुदायिक स्तर पर आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का विशेष आयोजन किया जाएगा. जिसमें अन्नप्राशन दिवस, गोदभराई एवं प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा दिवस के आयोजन मुख्य रूप से शामिल होंगे.

सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रभात फ़ेरी: 

पोषण पर समुदाय को जागरूक करने के लिए प्रभात फ़ेरी एक सशक्त माध्यम होता है. इसे ध्यान में रखते हुए सभी आँगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रभात फ़ेरी का आयोजन किया जाएगा. जिसमें आँगनवाड़ी सेविका, सहायिका, आशा, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, बच्चे, किशोर एवं पंचायती राज के सदस्य प्रतिभाग करेंगे.

गृह भ्रमण पर होगा बल:

आँगनवाड़ी सेविका अपने-अपने पोषक क्षेत्र में पूर्व नियोजित घरों का भ्रमण करेंगी. साथ ही कमजोर नवजात शिशु की पहचान, 6 माह से अधिक उम्र के बच्चों को ऊपरी आहार, महिलाओं में एनीमिया की पहचान एवं रोकथाम तथा शिशुओं में शारीरिक वृद्धि का आकलन करने का कार्य करेंगी.















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