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मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद परत दर परत खुल गए आशीष की हत्या के सभी राज ..

आशीष को रात्रि में जब इस बात का अहसास हुआ कि उसका अपहरण कर लिया गया है, तो वह भागने की कोशिश में लग गया. जिस खंडहर मकान के समीप उसकी लाश मिली थी आशीष उसकी सीढ़ियों के द्वारा ऊपर भागा लेकिन, पैर फिसलने के कारण सीढ़ियों से गिरकर घायल हो गया. 

मृतक आशीष की फाइल फोटो
- पड़ोसी की थी आशीष के पिता के पैसों पर नज़र
- भागने के क्रम में सीढ़ियों से गिरकर घायल भी हुआ था आशीष.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बहुचर्चित आशीष हत्याकांड का खुलासा हो गया है. आशीष की हत्या का मास्टरमाइंड उसका पड़ोसी ही था. इस बात का खुलासा बक्सर पुलिस ने करते हुए पड़ोसी को गिरफ्तार कर लिया तथा फिर प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए उसे जेल भी भेज दिया. 
दोस्तों की गिरफ्तारी के बाद मास्टरमाइंड की तलाश में थी पुलिस:

आशीष के दो दोस्तों के पकड़े जाने के बाद यह सवाल सबके जेहन में कौंध रहा था कि, आखिर आशीष की हत्या किस कारण से की गई? ऐसे में यह बात तो स्पष्ट थी कि, कोई तीसरा भी इस हत्या में शामिल है. इसी बात के मद्देनजर पुलिस ने अपनी जांच शुरू की तथा जांच में मूल रूप से नचाप गांव के रहने वाले तथा वर्तमान में डुमराँव के टेक्सटाइल कॉलोनी निवासी छोटन यादव को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के दौरान पूछताछ में उसने स्वीकार कर लिया कि, उसने ही आशीष की हत्या की थी. 

रिटायरमेंट के बाद आशीष के पिता को मिले पैसों पर थी छोटन की नजर:

पुलिस को दिए अपने बयान में छोटन ने बताया है कि, यह हत्या उसने आशीष के घरवालों से फिरौती वसूलने के लिए की थी.  मामले की जानकारी देते हुए एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने बताया कि, छोटन गजेंद्र तिवारी का पड़ोसी था तथा उसे यह ज्ञात था कि, रिटायरमेंट के बाद उपेंद्र को काफी पैसे मिले हैं. इसी बात के मद्देनजर उसने योजनाबद्ध तरीके से आशीष के दोस्तों को अपने साथ मिलाया. दोस्तों ने आशीष को अपनी बाइक पर बैठाकर रेलवे स्टेशन तक छोड़ा. बताया जाता है कि रेलवे स्टेशन से छोटन ने आशीष को अपने साथ ले लिया. आशीष भी छोटन को अच्छी तरह जानता-पहचानता था इसलिए वह आराम से उसके साथ चला गया. 

सीढ़ियों से गिरकर घायल हुआ था आशीष: 

पुलिस की पूछताछ में छोटन ने बताया है कि है कि, अपहरणकर्ता ने उनके घर वालों को व्हाट्सएप पर किसी अनजान नंबर से कॉल किया था. इस कॉल को परिजन रिसीव नहीं कर पाए थे. जिसके बाद अगले दिन आशीष के ही नंबर से फिरौती की रकम मांगी गई. उसने यह भी बताया है कि, आशीष की मौत फिरौती मांगने से पूर्व ही हो गई थी. दरअसल, आशीष को रात्रि में जब इस बात का अहसास हुआ कि उसका अपहरण कर लिया गया है, तो वह भागने की कोशिश में लग गया. जिस खंडहर मकान के समीप उसकी लाश मिली थी आशीष उसकी सीढ़ियों के द्वारा ऊपर भागा लेकिन, पैर फिसलने के कारण सीढ़ियों से गिरकर घायल हो गया. जिसके बाद अपहरणकर्ताओं को कुछ नहीं सूझा और उन्होंने आशीष की हत्या कर दी.

फिरौती लेने के बाद भी नहीं संभव था आशीष को लौटाना:

फिरौती मांगने के बाद भी आशीष को रिहा करना अब अपहरणकर्ता के बस की बात नहीं थी. क्योंकि, आशीष तो जिंदा था ही नहीं. ऐसे में फिरौती मांगना भी बंद कर दिया गया.  बाद में उसी खंडहर नुमा मकान के पास आशीष की लाश मिली थी जिसके बाद पुलिस ने मामले की तफ्तीश करनी शुरू की और इस नतीजे पर पहुंची कि आशीष को उसके दोस्तों द्वारा ही अगवा किया गया था.

पिछले माह की 8 तारीख को हुआ था अपहरण 18 दिनों बाद मिली थी लाश:

डुमराँव के टेक्सटाइल कॉलोनी निवासी गजेंद्र तिवारी का इकलौता पुत्र आशीष 8 अगस्त की शाम दोस्तों के साथ मेला घूमने की बात कह घर से निकला था. इसी दौरान उसका अपहरण कर लिया गया. पिता ने 9 अगस्त को थाने में अपहरण का केस दर्ज कराया. 18 दिन बाद मिले कंकाल और कपड़े से आशीष के शव की पहचान हो पाई थी. मामले को लेकर आशीष के पिता ने डीजीपी तक से पुत्र को ढूंढने की गुहार लगाई थी.














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