सुरक्षित मातृत्व अभियान: गर्भवती महिलाओं की हुई जाँच ..
उन्होंने बताया कि इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है.
- गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है हर माह की 9 तारीख.
-उच्च जोख़िम वाली गर्भवतियों को किया गया चिन्हित.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत सोमवार को सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की निःशुल्क जाँच की गयी. इस अवसर पर गर्भवती महिलाओं की जाँच की गयी. साथ ही जाँच के माध्यम से उच्च जोख़िम वाली गर्भवतियों को चिन्हित भी किया गया.
इस अवसर पर जिला के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कमल किशोर राय ने बताया कि प्रत्येक महीने की 9वीं तारीख को जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जिला अस्पताल पर गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. इस अवसर पर सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की निःशुल्क जाँच की गयी. इसमें उच्च रक्तचाप,वजन,शारीरिक जाँच,मधुमेह एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर अन्य जाँच की गयी. साथ ही जाँच में एनीमिक महिला की पहचान किये जाने पर आयरन फोलिकएसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गयी.
डॉ. राय ने बताया कि बेहतर पोषण भी गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है. इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जाँच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी गयी. हरी साग- सब्जी, दूध, सोयाबीन, फ़ल, भूना हुआ चना एवं गुड़ खाने की सलाह दी गयी. गर्भावस्था के आखिरी दिनों वाली महिलाओं को दिन में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गयी. उन्होंने बताया कि इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है.
उच्च जोख़िम गर्भधारण से बचाव है जरुरी:
गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जाँच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है. गर्भावस्था में 7ग्राम से खून का कम होना,मधुमेह का होना, अत्यधिक वजन का कम होना, पूर्व में सिजेरियन प्रसव का होना, उच्च रक्तचाप की शिकायत होना इत्यादि उच्च जोख़िम गर्भधारण की पहचान होती है. सबसे अधिक मातृ मृत्य दर इसके ही करण होती है. इससे बचाव के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान मील का पत्थर साबित हो रहा है.
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