शारदीय नवरात्र का शुभारंभ: इस बार बन रहे कई दुर्लभ संयोग ..
यह त्योहार इस बात का द्योतक है कि, मां की ममता जहां सृजन करती है. वहीं, मां का विकराल रूप दुष्टों का संहार भी कर सकता है. नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं. मान्यता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है.
- हाथी पर सवार होकर माता का हुआ आगमन.
- इस बार नहीं होगा तिथियों का क्षय.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: 29 सितंबर, दिन रविवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं. इस नवरात्रि को सबसे खास माना जाता है. मान्यताओं अनुसार इस दिन माता कैलाश पर्वत से धरती पर अपने मायके आती हैं. इस बार नवरात्रि में माता का आगमन हाथी पर होना जहां शुभ नहीं माना जा रहा है तो वहीं इस साल नवरात्रि पर कई ऐसे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं जो अपने आप में काफी शुभ है.
इस बार तिथि का क्षय नहीं:
खास बात यह है कि इस बार पूरे नौ दिन नवरात्रि रहेंगी. साथ ही इस नवरात्रि दो दिन सोमवार पड़ रहा है जिसे काफी शुभ माना जा रहा है. मान्यता है कि सोमवार के दिन मां दुर्गा की उपासना करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही इस नवरात्र के 6 दिन विशेष योग भी बनने वाले हैं. जो सभी भक्तों के लिए बेहद शुभ और फलदायी रहने वाले हैं.
नवरात्रि के शुरू के 6 दिन विशेष योग रहेंगे. जिसमें से 2 दिन अमृतसिद्धि, 2 दिन सर्वार्थ सिद्धि और 2 रवि योग बन रहा है. 30 सितंबर को अमृत सिद्धि योग, 1 अक्टूबर को रवि योग, 2 अक्टूबर को अमृत और सिद्धि योग, 3 को सर्वार्थ सिद्धि, 4 को रवि योग, 5 तारीख को रवि योग, 6 को सर्वसिद्धि योग रहेगा. 7 अक्टूबर को दोपहर 12:38 मिनट तक नवमी मनाई जायेगी. इसके बाद से दशहरा दशमी तिथि शुरू हो जायेगी. जो 8 अक्टूबर दोपहर 2:51 बजे तक रहेगी। इस दिन भी रवि योग बन रहा है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 29 सितंबर, रविवार सुबह 6 बजकर 16 मिनट से लेकर 7 बजकर 40 मिनट तक रहने वाला है। इसके अलावा जो भक्त सुबह कलश स्थापना न कर पा रहे हों उनके लिए दिन में 11 बजकर 48 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ रहने वाला है. हालांकि कलश स्थापना का सुबह का मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है.
शारदीय नवरात्र हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में शामिल हैं. इसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. यह पर्व बताता है कि झूठ कितना भी बड़ा और पाप कितना भी ताकतवर क्यों न हो अंत में जीत सच्चाई और धर्म की ही होती है.
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
29 सितंबर 2019: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन.
30 सितंबर 2019: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्वितीया, बह्मचारिणी पूजन.
01 अक्टूबर 2019: नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन.
02 अक्टूबर 2019: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्मांडा पूजन.
03 अक्टूबर 2019: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्कंदमाता पूजन.
04 अक्टूबर 2019: नवरात्रि का छठा दिन, षष्ठी, सरस्वती पूजन.
05 अक्टूबर 2019: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्तमी, कात्यायनी पूजन.
06 अक्टूबर 2019: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्टमी, कालरात्रि पूजन, कन्या पूजन.
07 अक्टूबर 2019: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, महागौरी पूजन, कन्या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण
08 अक्टूबर 2019: विजयदशमी या दशहरा
नवरात्रि का महत्व:
हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. साल में दो बार नवरात्रि पड़ती हैं, जिन्हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है. जहां चैत्र नवरात्र से हिन्दू वर्ष की शुरुआत होती है वहीं शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. यह त्योहार इस बात का द्योतक है कि मां की ममता जहां सृजन करती है. वहीं, मां का विकराल रूप दुष्टों का संहार भी कर सकता है. नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं. मान्यता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्हीं नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती हैं. ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. भक्त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लेते हैं. पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और फिर अष्टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. इन नौ दिनों में रामलीला का मंचन भी किया जाता है.
नवरात्रि व्रत के नियम:
अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए.
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लें.
- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
- शाम के समय मां की आरती उतारें.
- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
- फिर भोजन ग्रहण करें.
- हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
- अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
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