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जानकारी: एन.जी.ओ./सोसायटी/ट्रस्ट संचालक ज़रूर करें ये 11 काम, नही तो होगी मुश्किल ..

लोग एक समूह बना कर एनo जीo ओo(सोसायटी/ट्रस्ट) बना लेते हैं, पर उनके लिए ज़रूरी वार्षिक आवश्यक कार्य नहीं करते जो भविष्य में उनके लिए भारी सरदर्द बन सकता है.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: आम तौर पर लोग एक समूह बना कर एनo जीo ओo(सोसायटी/ट्रस्ट) बना लेते हैं, पर उनके लिए ज़रूरी वार्षिक आवश्यक कार्य नहीं करते जो भविष्य में उनके लिए भारी सरदर्द बन सकता है , अगर आपने भी एनo जीo ओo का निबंधन सोसायटी चाहे ट्रस्ट एक्ट में करवाया है तो नीचे लिखे कुछ कार्य समय समय पर अपने किसी कंसलटेंट की मदद से नियमित रूप से करवाते रहें, अन्यथा एक समय बाद आपकी परेशानी काफ़ी ज़्यादा बढ़ जाएगी.

१) पैन कार्ड - 

बहुत सी संस्थाओ का सोसायटी अथवा ट्रस्ट से निबंधन तो हो जाता है परंतु वे पैन हेतु आवेदन कर आयकर विभाग से संस्था का अलग पैन नही प्राप्त करते जो एक बहुत बड़ी चूक है और आयकर विभाग के नियमों का सरासर उल्लंघन है.

२) बैंक खाता - 

किसी भी संस्था के निबंधन और पैन प्राप्ति के बाद जो सबसे बड़ा काम होता है वो है संस्था का एक बैंक खाता खोलना इसे आप चाहे तो बचत खाता या चालु खाता कुछ भी खोल सकते हैं. ये संस्था के वास्तविक संचालित होने के प्रमाण के साथ आयकर विभाग के उन नियमो के अनुसार भी ज़रूरी है जो यह कहते हैं की किसी संस्था से जुड़ा कोई लेनदेन जो दस हज़ार से ज़्यादा का हो नगद नही किया जा सकता.

३) नियमित लेखा का संधारण - 

प्रत्येक संस्था को अपने दैनिक कार्यों यथा बैठकों के लिए कार्यवाही पंजी, हिसाब किताब के लिए कैशबुक़, लेज़र पंजी, सदस्यता पंजी, दान पंजी इत्यादि को कम  से कम वार्षिक ज़रूर अपडेट करवाएँ क्योंकि निबंधन विभाग के नियमों के अनुसार डिपार्टमेंट कभी भी आपसे ये पंजिया मंगा सकती है. यदि सरकारी अनुदान या किसी प्रकार की सरकारी राशि 25 लाख से ज़्यादा प्राप्त हो तो एकाउंट Computerised मेंटेन होना चाहिए.

४) आय व्यय का वार्षिक अंकेक्षण (आडिट) - 

प्रत्येक वर्ष हर संस्था  का आडिट एक बहुत ही ज़रूरी गतिविधि है जिसे इग्नोर करने पर भविष्य में भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है, निबंधन विभाग के नियम तो इसे ज़रूरी बताते ही हैं साथ ही आयकर विभाग भी इसके लिए काफ़ी सख़्त है, इसके नियमित न होने पर विभाग संस्था का निबंधन भी रद्द कर सकता है. 

४) वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन (एनुवल रिपोर्ट) - 

हर वर्ष आडिट के साथ संस्था को एनुवल रिपोर्ट बनाना भी अतिआवश्यक होता है, इसे आप रंगीन सचित्र भी बनवा सकते है या सादा साधारण भी इसमें संस्था के वर्ष भर के क्रियाकलापो का विस्तृत विवरण होता है ये 10-12 पेजेस से लेकर 100-200 पेजेस तक का हो सकता है.

५) Form - H - 

सोसायटी निबंधन अधिनियम 21,  1860 के अनुसार देश के प्रत्येक निबंधित संस्था को अपने राज्य के निबंधन महानिरीक्षक के समक्ष प्रत्येक वर्ष एक आवेदन के साथ संस्था का उस वर्ष के आडिट रिपोर्ट, एनुवल रिपोर्ट और form -H की छाया प्रति अवश्य दाखिल करनी है अन्यथा उस संस्था को निष्क्रिय मानकर उसका निबंधन रद्द करने की कार्यवाही की जाएगी, कइ राज्यों मे इसके लिए ओनलाइन सुविधा है बिहार में भी शुरू हुई थी लेकिन फिर बंद हो गई, फ़िलहाल अभी ये आफलाइन डाक से या हाँथोहाँथ जमा करना है

६) नीति आयोग निबंधन - 

किसी भी प्रकार का सरकारी अनुदान प्राप्त करने के लिए संस्थाओ को ये नीति आयोग का निबंधन उसके पोर्टल पर आनलाइन निबंधन कर अवश्य प्राप्त करना होता है.

७) इनकम टैक्स रिटर्न - 

प्रत्येक संस्थाओ को आडिट के बाद इनकम टैक्स की ई फ़ीलिंग वेबसाइट पर जाकर ITR-5 या ITR -7 ज़रूर भरना चाहिए ITR-7 उन संस्थाओ के लिए है जो 12A(a) निबंधन प्राप्त कर चुकी हैं, बकी सभी संस्थाओ को ITR-5 भरना चाहिए.

८) 12A(a) निबंधन - 

आयकर विभाग संस्थाओ को ये निबंधन देता है इसके मिलने के बाद संस्थाओ को प्राप्त होने वाली समस्त आय टैक्स फ़्री हो जाती अन्यथा अपने दान चंदे व अन्य किसी प्रकार के आय पर संस्थाओं को 25% की दर से आयकर चुकाना पड़ता है, कई एजेंसियाँ या दानदाता तो संस्थाओ को तब तक फ़ंड नही देते जब तक यह निबंधन संस्थाओ को मिल नही जाता.

१०) 80 (G) निबंधन - 

एक ओर जहाँ 12A(a) निबंधन आपके संस्था के आय को कर मुक्त बनाता है वहीं दूसरी ओर 80 (G) निबंधन आपके दानदाताओ को कर मे छूट दिलवाता है आम तौर पर सी॰एस॰आर॰ फ़ंडिंग इस रजिस्ट्रेशन के बाद ही मिलती है.

११) FCRA निबंधन - 

संस्था के कार्यक्रमों को असली उड़ान तब मिलती है जब उसे विदेशी स्त्रोतों से दान प्राप्त होने लगता है, अभी भी हमारे देश मे सामाजिक कार्य हेतु दान देने की प्रवृति न के बराबर है पर कई विदेशी संस्थाए लगातार योग्य संस्थाओ की खोज में रहती हैं जो वास्तविक समाज कार्य में लगी हुई हैं किसी भी संस्था द्वारा विदेशी दान तभी स्वीकार किया जा सकता है जब उसने गृह मंत्रालय से FCRA निबंधन प्राप्त किया हो.

ऊपर लिखे तमाम क्रिया कलापो को प्रति वर्ष निपटा लेना चाहिए अन्यथा बोझ बढ़ता जाता है और बाद मे भारी समस्या का सामना करना पड़ता है, भारी दंड चुकाना पड़ सकता है और जिस उद्देश्य से संस्था की स्थापना की गई है वो भी पुरी नही हो पाती.

संकलनकर्ता

- राम नारायण,
अधिवक्ता सह
एन॰जी॰ओ॰ कंसलटेंट 
Mob - 9097979910















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