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सराहनीय: मां के आंचल को प्रदूषण से बचाने के लिए मन को किया चंगा, प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए घर में ही बुला ली गंगा ..

साफ कर उसमें गंगा जल मिला कर पानी भरा गया गुलाब के फूल तथा इत्र को जल में डाला गया और उसी में मां दुर्गा समेत छह मूर्तियों का विसर्जन किया गया. विसर्जन के दौरान टैंक को दीपों की रोशनी से सजाया गया था. 

- गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की पहल में शामिल हुए सत्यदेव मिल पूजा समिति के लोग.
- वाटर टैंक में गंगाजल, फूल तथा इत्र डालकर भक्ति भाव से किया प्रतिमा विसर्जन.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गंगा में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक के पश्चात भले ही कुछ पूजा समितियों के द्वारा विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए इसका विरोध किया गया हो लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने इस पहल की प्रशंसा करते हुए मूर्ति विसर्जन के लिए ऐसा इंतजाम किया जो अन्य लोगों के लिए भी उदाहरण बन गया. गंगा में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक का आदेश दो दिन पहले आया, लेकिन इस कम समय में भी सत्यदेवगंज स्थित जय मां भवानी पूजा समिति ने अनोखी पहल कर नजीर पेश की. समिति ने परिसर में एक पुराने पड़े टैंक को साफ करवाया और उसी में मूर्तियों का विसर्जन किया.

इस संबंध में समिति के अध्यक्ष सचिन राय, दीपक अग्रवाल, राकेश सिंह और रविशंकर प्रसाद ने बताया कि गंगा में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि, अब इसके विकल्प के बारे में सोचना जरूरी है. प्रशासन का आदेश आने के बाद समिति के सभी सदस्यों ने इस पर बैठक की और अस्थाई तालाब बनवा उसी में मूर्ति विसर्जन का निर्णय लिया गया. सत्यदेव मिल के परिसर में एक सात सौ वर्ग फीट का आठ फीट गहरा टैंक था, जिसे साफ कर उसमें गंगा जल मिला कर पानी भरा गया गुलाब के फूल तथा इत्र को जल में डाला गया और उसी में मां दुर्गा समेत छह मूर्तियों का विसर्जन किया गया. विसर्जन के दौरान टैंक को दीपों की रोशनी से सजाया गया था. इसके साथ ही विसर्जन के पूर्व महिलाओं ने विधि विधान से मां की पूजा अर्चना की. तत्पश्चात प्रतिमा का विसर्जन किया गया.

दीपक ने बताया कि एक-दो दिनों में वे लोग टैंक की सफाई करा साड़ी-कपड़े आदि को गरीबों में दान कर दिया जाएगा. वहीं, जो मिट्टी गलकर जमा होगी, उसे फिर अगले साल मूर्ति निर्माण में इस्तेमाल के लिए कहीं सुरक्षित रख लिया जाएगा. समिति के निर्मल गुप्ता, सोनू राय, श्याम अग्रवाल, सुजीत गुप्ता आदि ने कहा कि वे अगले साल से अन्य समितियों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे.

क्या होता है गंगा में मूर्तियों के विसर्जन से नुकसान:

गंगा में मूर्तियों के विसर्जन से जल प्रदूषण फैल रहा है. मूर्तियों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टर ऑफ पेरिस, खतरनाक केमिकल्स, पेंट्स और थर्मोकोल जैसी चीजें पानी में घुलकर जलीय जीव को नुकसान पहुंचातीं हैं. गंगा में हर तरह की पूजा के बाद बड़ी संख्या में मूर्तियों का विसर्जन होता है. 2017 में एनजीटी ने गंगा में किसी भी तरह का अवशेष बहाने पर पाबंदी लगा दी पिछले दिनों हुए एक शोध में पता चला कि हर धार्मिक आयोजन के बाद मूर्ति विसर्जन होने की वजह से गंगा का प्रदूषण बढ़ जाता है. मूर्तियां बनाने में हेवी मेटल्स और खतरनाक केमिकल्स का धड़ल्ले से उपयोग होता है. पर्वोत्सव के बाद गंगा में क्रोमियम, लोहा, निकेल और लेड की मात्रा काफी अधिक दर्ज की जाती है और इसके पीछे मूर्तियों के विसर्जन को अहम वजह माना जाता है.













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