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मुंडन संस्कार को उमड़ा जन सैलाब, शहर में कई जगह जाम ..

धार्मिक परंपरा के अनुसार शिशु जन्म के पूर्व से मृत्यु तक 16 संस्कारों में एक मुंडन संस्कार जन्म के पश्चात मुख्य संस्कार हैं जिसमें गर्भस्थ बाल को किसी धार्मिक स्थान या सरोवर नदी आदि के तट पर अर्पित किया जाता हैं. 

- ट्रैफिक जामसे निबटने में छूट रहे पसीने.
- संतान के आरोग्य तथा दीर्घायु होने की कामना के साथ निभाई जाती है परंपरा.

बक्सर  टॉप न्यूज़, बक्सर: मुंडन संस्कार के चलते रामरेखा घाट पर आज ज़िले और आसपास के श्रद्धालुओं के कारण शहर में महाजाम की स्थिति आ गई हैं और कई चौक चौराहे जाम से कराह रहे हैं.  धार्मिक परंपरा के अनुसार शिशु जन्म के पूर्व से मृत्यु तक 16 संस्कारों में एक मुंडन संस्कार जन्म के पश्चात मुख्य संस्कार हैं जिसमें गर्भस्थ बाल को किसी धार्मिक स्थान या सरोवर नदी आदि के तट पर अर्पित किया जाता हैं. 
नया भोजपुर के पास जाम का नजारा

बक्सर का रामरेखा घाट सदियों से मुण्डन संस्कार का साक्षी रहा है. शुभ मुहूर्त का आते ही बक्सर में भीड़ जमा होने लगती है, ट्रैक्टरों, जीपों, बसों आदि से लोग सपरिवार आकर मां गंगा की पूजा की जाती हैं. वंशवृद्धि के बाद जीवन की स्रष्टा आदि ब्रह्म की द्रव स्वरूपा मां गंगा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं जीवन आरोग्य एवं दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु मुंडन संस्कार किया जाता हैं. सोमवार को भी शहर में उमड़ी भीड़ के बाद ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में ट्रैफिक पुलिस के पसीने छूट रहे हैं.

जल-जीवन-हरियाली का संदेश देती है मुंडन संस्कार की परंपरा:

शिशु के मुंडन के बाद गंगा इस पार से उस पार नाव से रस्सी और आम के पत्तों से तनाव किया जाता हैं. जिसको तनाव कहा जाता हैं. मुख्यतः गंगा का पूजन से जल जीवन और हरियाली की परिकल्पना हमारे सनातन परंपरा में शामिल हैं और उसकी पूजा इसकी महिमा हैं. जिस तरह गंगा की पावनता ,अविरलता ,चपलता, और उसकी नैसर्गिकता दिव्य हैं उसी की पूजा कर मनुष्य अपने शिशु के लिए वहीं आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मुंडन संस्कार किया जाता हैं.
















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