डिब्बे में बंद होकर रह गई सदर अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन ..
चुनावी लाभ पाने के लिए आनन-फानन में योजनाओं की शुरुआत कर राजनेता भले ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं, लेकिन योजनाएं धरातल तक नहीं पहुंच पाती हैं. आश्चर्य तो तब होता है जब संसाधनों के मौजूद होने के बावजूद लोग सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं.
- भटक रहे हैं मरीज, अभी तक नहीं हुआ है मशीनों का इंस्टॉलेशन
- विलम्ब होते देख की सुरक्षा के मद्देनजर किया गया डिब्बे में बंद.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा अब नहीं शुरु हो सकेगी. ऐसा लोग ही नहीं कहते बल्कि, सदर अस्पताल के कर्मियों ने भी यह मान ही लिया है. तभी तो शुरु होने की राह देखते-देखते मशीन को अब पुनः पैक कर रख दिया गया है. चुनावी लाभ पाने के लिए आनन-फानन में योजनाओं की शुरुआत कर राजनेता भले ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं, लेकिन योजनाएं धरातल तक नहीं पहुंच पाती हैं. आश्चर्य तो तब होता है जब संसाधनों के मौजूद होने के बावजूद लोग सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं. ऐसा ही नजारा इन दिनों जिले के सदर अस्पताल में देखने को मिल रहा है. जहां अल्ट्रासाउंड के उद्घाटन के पश्चात मशीन आ जाने के बावजूद अब तक उसका इंस्टॉलेशन तक तक नहीं किया जा सका है और अब तो मशीन को पूरी तरह से पैक कर रख दिया गया. ऐसा इसलिए किया गया कि मशीन कम से सुरक्षित रह सके. मामले में अस्पताल के अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि योग्यताधारी चिकित्सकों का आभाव अल्ट्रासाउंड संचालन में बाधा बन रहा है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव के पूर्व आचार संहिता लागू होने से पहले आनन-फानन में सदर अस्पताल में टेलीमेडिसिन से लेकर अन्य कई सुविधाएं शुरू की गई. लेकिन वह ढंग से संचालित नहीं हो पा रही हैं. इसी क्रम में काफी दिनों से बंद अल्ट्रासाउंड का ही एक बार पुनः उद्घाटन किया गया. लाखों रुपयों की मशीनें भी मंगवाई गई. हालांकि, अब तक मशीनों का इंस्टॉलेशन तक नहीं हो सका है. जिसके कारण दूर-दराज से आए मरीजों को काफी निराशा हाथ लग रही है. लोगों का कहना है कि जब इसे शुरू किया ही नहीं जाना था तो आनन-फानन में इस का उद्घाटन करने की क्या आवश्यकता थी?
बाजार समिति रोड के रहने वाले दिनेश कुमार ने बताया कि उन्होंने समाचार पत्रों में जब यह खबर पढ़ी कि अल्ट्रासाउंड की सेवा पुनः शुरू हो गई तो उन्हें बहुत खुशी हुई थी। लेकिन जब वह वहां पहुँचे तो नजारा कुछ और ही था.
गजाधर गंज के निवासी सुजीत कुमार ने बताया कि वह अपनी पत्नी को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन वहां मशीनों को शुरू तक नहीं किया गया है। जिसके कारण उन्हें काफी निराशा हाथ लगी.
मामले में सिविल सर्जन उषा किरण वर्मा ने बताया कि योग्यताधारी चिकित्सक नहीं होने के कारण अल्ट्रासाउंड को अब तक शुरू नहीं किया जा सका है. उन्होंने बताया अल्ट्रासाउंड के संचालन के लिए चिकित्सकों के पास कम से कम एमबी रेडियोलॉजिस्ट की डिग्री होनी चाहिए लेकिन जहां इस तरह की कोई चिकित्सक नहीं है. अभी यह निर्देश भी आया है कि कम से कम विज्ञान स्नातकोत्तर की डिग्रीधारी महिला चिकित्सक भी हो तो अल्ट्रासाउंड को शुरु किया जा सकता है. हालांकि, अभी ऐसा भी कोई नहीं मिला है. ऐसे में अब तक अल्ट्रासाउंड को शुरू नहीं किया जा सका है. लेकिन शीघ्र ही इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा.
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