Header Ads

Big Breaking: अपने भूले, गैरों ने सजाया सर आंखों पर ! वाह उस्ताद !!


डुमराँव की तंग गलियों से शहनाई को विश्व पटल पर ख्याति दिलाने वाले बिस्मिल्लाह खान को शहर भूल ही गया, यूँ कहे राज्य भूल गया.

- 102 वीं जयंती पर बक्सर जिले की माटी के लाल को गूगल ने बनाया डूडल.
- उस्ताद के संगीत की विरासत को संभालने वाला भी नहीं दिख रहा है कोई .

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर के एक सपूत उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की 102 वीं जन्म दिवस पर गूगल ने आज अपना डूडल उनकी तस्वीर बनाकर उन्हें याद किया है.

डुमराँव की तंग गलियों से शहनाई को विश्व पटल पर ख्याति दिलाने वाले बिस्मिल्लाह खान को शहर भूल ही गया, यूँ कहे राज्य भूल गया. कुछ अपने डुमराँव में उनके नाम पर नगर भवन की याद करते रहे है, लेकिन वास्तविकता यह है कि न शहनाई बजाने वाले हैं और न सुनने वाले बचे हैं. संगीत संस्कार का लोप हो गया.

ऐसे में गूगल ने उनका डूडल बनाकर हमे दिखाया कि पूर्वजों को याद रखना उतना ही जरूरी है जितना उनके संस्कारों को आगे बढ़ाना. गूगल के इस प्रयास के बाद आज उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के पैतृक जिले के लोगों की क्या यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे संगीत की संस्कृति को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देते हुए बक्सर के ऐसे नवीन संगीतकारों को आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करें जो कि आभावों के कारण अपनी संगीत साधना को आगे नहीं बढ़ा पाते. क्या केवल नगर भवन का नामकरण उस्ताद के नाम पर कर देने से क्या वह सपना जो उस्ताद ने संगीत की विरासत को लेकर देखा होगा वह पूरा हो पायेगा?

सबसे बड़ी बात यह है कि जब संगीत के पुजारी ही नहीं रहेंगे तो उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को कौन याद करेगा??

गूगल के द्वारा उस्ताद को दी गई इस अनोखी श्रद्धांजलि को देखते हुए बक्सर के इस लाल के सम्मान में श्रद्धा से सिर झुक जाता है और सिर्फ एक ही बात जबान पर आती है- "वाह उस्ताद !"








No comments