Buxar Top News: लापरवाही पड़ेगी भारी: न्यायालय परिसर में जहां से भागा था हत्यारोपी शेरु, अब तक है वही स्थिति ..
17 दिसंबर 2011 को व्यवहार न्यायालय में अपने मुकदमे की सुनवाई के दौरान हत्यारोपी अपराधी शेरू सिंह न्यायालय के बाथरूम में सैप के जवान को गोली मारने के बाद फरार हो गया था. पेशी के दौरान धीरज मिश्रा तथा हाल में ही शराब तस्कर मेहंदी हसन भी न्यायालय परिषद से फरार होने में सफल रहा था.
इसी जगह से भागा था शेरू सिंह |
- लगातार हुई घटनाओं के बावजूद प्रशासन नहीं ले रहा संज्ञान
- न्यायालय परिसर में कई जगह से है अवैध प्रवेश तथा निकास का मार्ग.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कैदियों के फरार होने की घटनाओं के मद्देनजर उच्च न्यायालय के आदेशानुसार व्यवहार न्यायालय में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. न्यायालय परिसर के चारों तरफ की दीवार पर कटीले तार का बाड़ लगा दिया गया है. वहीं न्यायालय की दीवार को उंचा भी किया गया है. मुख्य द्वार पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. हालांकि, तमाम इंतजामों के बीच भी न्यायालय परिसर पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. न्यायालय के सामने तथा पीछे के द्वार के अतिरिक्त कई अन्य रास्ते भी हैं जिससे कि असामाजिक तत्व न्यायालय में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं. साथ ही पेशी के दौरान कैदियों के भागने की संभावना भी बढ़ जाती है.
फरार हुए हैं कई कैदी, दिनदहाड़े हुई थी हत्या की वारदात:
17 दिसंबर 2011 को व्यवहार न्यायालय में अपने मुकदमे की सुनवाई के दौरान हत्यारोपी अपराधी शेरू सिंह न्यायालय के बाथरूम में सैप के जवान को गोली मारने के बाद फरार हो गया था. पेशी के दौरान धीरज मिश्रा तथा हाल में ही शराब तस्कर मेहंदी हसन भी न्यायालय परिषद से फरार होने में सफल रहा था. यही नहीं वर्ष 2014 में कमलेश यादव की हत्या उस वक्त गोली मारकर कर दी गयी थी, जब वह जज के समक्ष हाजिरी देकर पुलिस सुरक्षा में हाजत पहुंचाया जा रहा था. इसके अतिरिक्त भी कई कैदी व्यवहार न्यायालय से पुलिस को चकमा देकर फरार हो चुके हैं.
जिस जगह से शेरु हुआ था फरार अभी भी है वही स्थिति, समाहरणालय के तरफ से भी टूटी हुई है दीवार:
वर्ष 2011 में जिस दीवार को फांद कर शेरू फरार हुआ था वह दीवार अभी भी उसी स्थिति में है. कटीले तारों से घेराबंदी तो की गई है लेकिन, उसके बीच में इतना गैप है जिससे आसानी से अपराधी फरार हो सकते हैं. उधर व्यवहार न्यायालय से लगी हुई समाहरणालय की दीवार एक जगह से पूरी तरह टूट चुकी है. इस दीवार के टूटने के बाद न्यायालय में अनाधिकृत रूप से प्रवेश करना और भी आसान हो जाता है. ऐसे में ना सिर्फ कैदियों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है बल्कि वहां मौजूद अधिवक्ता तथा न्यायिक कर्मी भी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.
समाहरणालय के तरफ से टूटी हुई दीवार |
सुरक्षाबलों की कमी भी बन रही है असुरक्षा का कारण:
व्यवहार न्यायालय में सुरक्षाबलों की कमी भी असुरक्षा को बढ़ावा देती है. इतने बड़े व्यवहार न्यायालय परिसर में महज मुख्य द्वार पर सुरक्षा बलों की मुस्तैदी नजर आती है. इसके अतिरिक्त पिछले द्वार एवं न्यायालय परिसर में कई जगहें ऐसी है जहाँ सुरक्षाबलों के कमी खटकती है.
कभी भी घटित हो सकती है बड़ी घटना :
इस बाबत अधिवक्ता संघ के महासचिव गणेश ठाकुर ने बताया कि व्यवहार न्यायालय में सुरक्षा सुरक्षाबलों की कमी तथा असुरक्षित परिवेश अधिवक्ताओं को भी भयाक्रांत कर देता है. ऐसे में प्रशासन को सुरक्षाबलों की कमी को पूरा करते हुए सुरक्षित परिसर बनाने के प्रयास भी करने होंगे अन्यथा कभी भी किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
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