माता अहिल्या की धरती से महर्षि नारद की तपोभूमि पहुँचा पंचकोसी के श्रद्धालुओं का जत्था ..
इस अवसर पर वहां दूर-दराज से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। जहां पूरी तरह से मेला सा नजारा व्याप्त था
-पहले दिन संतों ने पुआ-पकवान खा अहिरौली में किया रात्रि विश्राम
-आज नारद कुंड की परिक्रमा कर नदांव की धरती को किया नमन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : माता अहिल्या के उद्धार की तथा गौतम ऋषि के आश्रम सदर प्रखंड के अहिरौली स्थित अहिल्या माता के दर्शन-पूजन के साथ बुधवार को पांच दिवसीय पौराणिक पंचकोसी परिक्रमा का बुधवार को शुभारंभ हो गया. कार्यक्रम का संचालन पंचकोसी यात्रा समिति के प्रवक्ता रामनाथ ओझा ने किया. इसको लेकर अहले सुबह रामरेखाघाट पर स्नान कर साधु-संतों का जत्था अहिरौली के लिए रवाना हुआ. जहां पहुंचने के बाद मंदिर में माता अहल्या की पूजा-अर्चना कर दीप जलाने की परंपरा का पालन किया गया. फिर, पौराणिक परंपरा के अनुसार पुआ-पुड़ी से बने प्रसाद का भोग लगाकर उसे खुद ग्रहण कर रात्रि में विश्राम किया गया.
इस अवसर पर वहां दूर-दराज से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. जहां पूरी तरह से मेला सा नजारा व्याप्त था. मंदिर के आसपास सैकड़ों अस्थायी दुकानें लगी थी जहां श्रद्धालु विभिन्न सामानों की खरीदारी कर रहे थे तो दूसरी ओर बच्चों के मनोरंजन के भी भरपूर इंतजाम थे.
व्यवस्थापकों की माने तो लाखों लोगों ने पंचकोसी परिक्रमा के पहले दिन अहिरौली में पूजा अर्चना कर परंपरा का पालन किया है. इस दौरान साधु-संतों द्वारा पंचकोसी के पौराणिक महत्व व परिक्रमा करने से होने वाले अध्यात्मिक लाभ का विस्तृत वर्णन किया गया. बताया गया कि पंचकोसी परिक्रमा विधि-विधान के साथ करने पर अहिरौली में बुद्धि, नदांव में मन, भभुवर में चित्त की शुद्धि व नुआंव में अहंकार का नाश हो जाता है. जिसके बाद चरित्रवन में प्रेम रूपी परमात्मा से मिलन होता है. इस दौरान मेला में जगह-जगह पर पुलिस के जवान मुस्तैद थे. इसके अलावा अनेक पुलिस पदाधिकारी घूम-घूमकर खुद मेले का जायजा ले रहे थे. पंचकोसी परिक्रमा के पहले पड़ाव पर सदर अनुमंडल अधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय विधि व्यवस्था का जायजा लिया इस दौरान उन्होंने माता अहिल्या की धरती को नमन किया तथा प्रसाद ग्रहण किया.
दूसरे पड़ाव पर भी उमड़ा आस्था का जनसैलाब
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पंचकोसी परिक्रमा के दूसरे दिन श्रद्धालु दूसरे पड़ाव नदांव पहुंच गये. जहां नारद मुनि अपनी छोटी भूल के पश्चाताप के लिए तपस्या करने पहुंचे थे. मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने ताड़का वध के बाद भेंट न होने वाले ऋषियों के आश्रम पर स्वयं भ्रमण किया एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त किया व रात्रि विश्राम किया था. नारद मुनि के आश्रम पर भगवान राम का दूसरा पड़ाव था जहां भोजन के रूप में उन्हें खिचड़ी खिलायी गयी थी. नदांव में ये श्रद्धालु नारद सरोवर में स्नान कर उसकी परिक्रमा करते हैं.श्रद्धालु नारद सरोवर के पश्चिमी भीट पर बसांव मठ द्वारा लगाये गये टेंट में रात्रि विश्राम करते हैं. श्रद्धालुओं की व्यवस्था बसांव पंचकोसी परिक्रमा सेवा समिति द्वारा की गयी थी बसांव मठिया के अच्युतानंद प्रपन्नाचार्य जी महाराज की अगुवाई में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने तालाब की परिक्रमा कर प्रसाद ग्रहण किया. तत्पश्चात खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया.
इस संबंध में पंचकोसी परिक्रमा समिति के सचिव डा. रामनाथ ओझा ने बताया कि समिति द्वारा मेले में किसी भी श्रद्धालु को कोई तकलीफ नही हो सके इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है साथ ही मेले में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन की ओर से हर पड़ाव पर पर्याप्त पुलिस बल के साथ दंडाधिकारी तैनात किए गए हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हर पड़ाव पर एम्बुलेंस व पानी के टैंकर की व्यवस्था भी कराइ गई है.
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