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सार्वजनिक शौचालय, मूत्रालय के नाम पर खर्च हुए लाखों रुपये, इस्तेमाल के लायक एक भी नहीं ..

हालात यह है कि सभी शौचालय एवं मूत्रालय गंदगी से पूरी तरह पटे रहते हैं. जिसके कारण लोग उनका इस्तेमाल करने में कतराते हैं तथा मजबूरन खुले में मल-मूत्र त्याग करने को विवश हैं


- नगर के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए शौचालय तथा मूत्रालय की स्थिति बेहद खराब.

- ओडीएफ की कोशिश पर फिरा पानी.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिला प्रशासन के द्वारा चलाए जा रहे ओडीएफ अभियान के तहत लोगों के खुले में मल-मूत्र त्याग करने की आदत बंद करवाने के लिए परिषद द्वारा नगर में विभिन्न स्थानों पर सामुदायिक शौचालय तथा यूरिनल स्थापित किए गए हैं. हालांकि, स्थापना काल से लेकर अब तक नगर परिषद ने उनकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा है. हालात यह है कि सभी शौचालय एवं मूत्रालय गंदगी से पूरी तरह पटे रहते हैं. जिसके कारण लोग उनका इस्तेमाल करने में कतराते हैं तथा मजबूरन खुले में मल-मूत्र त्याग करने को विवश हैं. 

सभी इलाकों के शौचालय-मूत्रालयों की स्थिति एक जैसी:

नगर के विभिन्न इलाकों में रहने वाले भूमिहीन लोगों को खुले में शौच की आदत से मुक्ति दिलाने के लिए सामुदायिक शौचालय एवं कई सार्वजनिक जगहों पर मूत्रालय लगाए गए थे. लेकिन नगर परिषद की उदासीनता ने इस बड़े उद्देश्य पर पानी फेर दिया. नगर के खलासी मोहल्ला किला मैदान, सिविल लाइन, नया बाजार में ये सामुदायिक शौचालय स्थापित किये गए थे. नगर के विभिन्न इलाकों में लगाए गए सभी 10 सामुदायिक शौचालय चलंत थे. प्रत्येक की लागत तकरीबन साढ़े छह लाख रुपये थी. दूसरी तरफ नगर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर महिला तथा पुरुषों के इस्तेमाल के लिए सार्वजनिक मूत्रालय भी स्थापित किए गए थे. लेकिन, स्थापना काल से लेकर अब तक शौचालयों तथा मूत्रालयों की देखरेख तथा साफ-सफाई पर परिषद का कोई विशेष ध्यान नहीं रहा है. नगर के व्यवहार न्यायालय गेट के समीप स्थापित किया गया मूत्रालय हो या ज्योति प्रकाश चौक के समीप अथवा जमुना चौक के समीप लगाए गए मूत्रालय, सभी की स्थिति एक जैसी ही है.

लोगों की उम्मीदों पर भी फिरा पानी:

कोइरपुरवा निवासी दिलीप चौरसिया बताते हैं कि जब से यह शौचालय स्थापित किए गए हैं तब से नगर परिषद ने इनकी सुध नहीं ली है. गंदगी वैसे ही पसरी रहती है. नतीजतन लोगों के पास खुले में शौच करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचता. वहीं, अधिवक्ता रामनारायण का कहना है कि नगर में सार्वजनिक मूत्रालय नहीं होने के कारण लोगों खासकर महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. नगर परिषद ने मूत्रालय स्थापित कर लोगों के बीच एक उम्मीद जगाई थी. लेकिन, इनकी साफ-सफाई नहीं किए जाने से मूत्रालय अब इस स्थिति में पहुंच गए हैं लोग इन्हें इस्तेमाल करने से कतराते हैं.

इस बाबत नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद बबन सिंह का कहना है कि शौचालय तथा मूत्रालय की साफ-सफाई का जिम्मा प्रत्येक वार्ड के सुपरवाइजर का होता है. जिन वार्डों में शौचालय तथा मूत्रालय की गंदगी की शिकायत मिल रही है. उनकी जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.











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