डा. खगेन्द्र ठाकुर के निधन से खो गया युवाओं का साहित्यिक मार्गदर्शक - कुमार नयन
प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य कुमार नयन ने कहा कि डा. खगेन्द्र ठाकुर नये और युवा साहित्यकारों को मार्गदर्शन देने तथा उन्हें हर संभव मदद देने में आगे रहते थे. उनके निधन से साहित्य की युवा पीढ़ी ने अपने अभिभावक को खो दिया.
-साहित्यकार डॉ. खगेन्द्र ठाकुर के निधन पर शोक सभा
- वक्ताओं ने कहा साहित्यिक अवदान को भुलाया नहीं जा सकता.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: चरित्रवन स्थित प्रतिश्रुति कार्यालय परिसर में प्रलेस के तत्वावधान में प्रगतिशील हिन्दी साहित्य आंदोलन के अगुआ डा. खगेन्द्र ठाकुर के निधन पर एक शोक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वामपंथी विचारक नूतन राय ने की जबकि संचालन गजलगो कुमार नयन ने किया.
इस दौरान प्रलेस के जिलाध्यक्ष डॉ. बी.एल. प्रवीण ने कहा कि अनुशासित रहकर सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करने वाले साहित्य मनीषी का नाम खगेन्द्र ठाकुर था. प्रलेस की उपाध्यक्ष मीरा सिंह ‘मीरा’ ने कहा कि खगेन्द्र ठाकुर के साहित्यिक अवदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. लेखक राम मुरारी ने कहा कि डा. खगेन्द्र ठाकुर समाज, साहित्य और राजनीति में हो रहे बदलाव पर गहरी नजर रखते थे और उस पर समीचीन टिप्पणी करते थे. उनसे नयी पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिला है. प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य कुमार नयन ने कहा कि डा. खगेन्द्र ठाकुर नये और युवा साहित्यकारों को मार्गदर्शन देने तथा उन्हें हर संभव मदद देने में आगे रहते थे. उनके निधन से साहित्य की युवा पीढ़ी ने अपने अभिभावक को खो दिया.
अपने अध्यक्षीय भाषण में नूतन राय ने कहा कि साहित्यकार डा. खगेन्द्र ठाकुर का निधन साहित्य के क्षेत्र के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. सभा के अंत में दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें सम्मान दिया गया. इस अवसर पर सोशल एक्टिविस्ट अशोक द्विवेदी, ई. रामाधार सिंह, संजीव कुमार अग्रवाल, डा. अरूण मोहन भारवि, कौशिक, राजेन्द्र राम, सरिता, कौशल कुमार, राजेश शर्मा, विमल कुमार सिंह, पंकज कुमार, ई.नरेंद्र शर्मा, कवि शशांक शेखर, रीमा, दीक्षा, नेहा, रौशनी समेत अन्य उपस्थित थे.
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