Buxar Top News: प्रकृति प्रेमी महिला के मुरीद हुए जिलाधिकारी ...
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: मनुष्य हो या पशु पक्षी सभी प्रकृति से प्यार करते हैं.लेकिन आधुनिकता के दौर में मनुष्य ने प्रकृति को काफी पीछे छोड़ दिया है.जिसके वजह से आज पुरे भूमंडल पर प्राकृतिक रंग उदासीन सा हो गये हैं.जिसके लिए सरकार ने बहुत सारी योजनाओं को लागू करके प्राकृतिक धरोहरों को बचाने का अभियान भी चलाया है.लेकिन इन सभी से अलग हटकर बक्सर जिले के राजपुर प्रखंड के जलहरा गांव की रहने वाली दुर्गा देवी ने कुछ ऐसा करके लोगों के सामने मिशाल पेश कर दिया है.पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपने एक अलग अंदाज में ही मुहिम छेड़ दिया है.विगत तीन वर्षो से इस कार्य मंे लगी दुर्गा देवी ने अब तक 100 से अधिक पेंटिंग प्राकृतिक वस्तुओं से कर चुकी है.इनके द्वारा की गयी पेंटिंग धान ,धान की भंुसी ,सरसों के दाना ,तेजपाता ,मटर के दाना,हल्दी ,जीरा ,मीर्च ,चावल ,मंगरैल सहित कई अन्य प्राकृतिक वस्तुओं से गुलाब के फूल ,किसी महापुरूष का चित्र ,राष्ट्र गान ,शराबबंदी अभियान के दौरान बनायी मानव श्रंखला सहित अन्य कलाकृतियां हैं जो देखने के बाद हर कोई कुछ देर के लिए ठिठक जाता है कि वास्तव में यह रंग हैं या दैनिक उपयोग की वस्तुएं |
ऐसा ही नजारा इस बार विगत 22 मार्च को बक्सर किला मैदान बक्सर में जिलाधिकारी रमण कुमार और डीडीसी मोबीन अली साहब को देखने के बाद लगा.जब सभी लोग स्टाॅलों का उदघाटन कर रहे जिलाधिकारी दुर्गा देवी के स्टाॅल के पास पहंुचे तो इन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए इनसे खुद उदघाटन कराते हुए इनके द्वारा बनायी गयी दो कलाकृतियांे को स्वयं खरीदा।
ऐसा ही नजारा इस बार विगत 22 मार्च को बक्सर किला मैदान बक्सर में जिलाधिकारी रमण कुमार और डीडीसी मोबीन अली साहब को देखने के बाद लगा.जब सभी लोग स्टाॅलों का उदघाटन कर रहे जिलाधिकारी दुर्गा देवी के स्टाॅल के पास पहंुचे तो इन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए इनसे खुद उदघाटन कराते हुए इनके द्वारा बनायी गयी दो कलाकृतियांे को स्वयं खरीदा।
जिलाधिकारी ने पूछा कहां से मिली प्रेरणा?
जिलाधिकारी के सवाल का जवाब देते हुए दुर्गा देवी ने कहा विगत पांच वर्ष पहले जब मैं अपने छत पर अनाज को सुखने के पसारा था.उसी समय जब मैं अनाज को उठाने के लिए गयी तो देखा की पंक्षियों ने अनाज के दानों को उलट-पुलट कर इधर उधर कर दिया है |जिसके कई आकार बन गये हैं.इसके बाद ही मैंने इन चीजों से बनाने का अभ्यास शुरू कर दिया.इस काम के लिए मेरे साथ मरे पति सामाजिक कार्यकर्ता सह नाटककार सरस एवं पुत्री सुगंधा व नंदिनी का भी भरपुर योगदान है।
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