Buxar Top News: दिव्यांगता को चुनौती देकर बिहार का मान बढ़ाने वाले सपूत को अपनों ने ही भुलाया ..
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: आज कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो दूसरे राज्यों में प्रशिक्षण लेते हैं। वहां का जिलास्तरीय, राज्य स्तरीय, मंडलस्तरीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में उसका प्रतिनिधित्व करता है। दूर दूर तक बिहार का नाम नहीं लेता। लेकिन उनका सम्मान खोज कर किया जाता है। कुछ लोग गरीबी और सुविधाओं से वंचित होते हुए भी कर्ज के सहारे बिहार का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन दूर दूर तक उनके समर्पण और प्रतिभा को परखने वाला कोई नहीं। यह तो हमारे लिए डूब मरने वाली बात है। यह कहना है बिहार के लोकप्रिय दिव्यांग एथलीट अनुराग चंद्रा का। अनुराग ने 29 अगस्त को बिहार सरकार द्वारा खेल सम्मान समारोह के लिए चयनित खिलाड़ियों की सूची पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि आज पैरा एथलीट शरद का चयन इस सम्मान के लिए होना खुशी की बात है, पर उन्होंने कभी भी न बिहार का प्रतिनिधित्व किया और न आगे करेंगे। सरकार उन्हें सम्मानित करने को आतुर है। हमारे द्वारा तीन-तीन बार बनाएं गए एडवेंचर गेम्स में विश्व रिकॉर्ड क्या बिहार के लिए नहीं थे।
जून माह में निकले थे यात्रा पर
बिहार के दिव्यांग खिलाड़ी अनुराग चंद्रा और संतोष मिश्रा 21 जून को दानापुर कैंट से सियाचिन ग्लेशियर की एडवेंचर जर्नी पर निकले थे। इन दोनों साहसी युवाओं ने ग्लेशियर पर झंडा फहराते हुए अपने साहस का परिचय दिया था, जिसे देख सब हैरान रह गए।
पहले भी बनाया है विश्व कीर्तिमान:
दिव्यांगता को चुनौती देने वाले अनुराग ने वर्ष 2015 में भी अपने साथी संतोष मिश्रा के साथ दिल्ली से लेह तक 1267 किलोमीटर की यात्रा कर विश्व कीर्तिमान बनाया था। यह कीर्तिमान अनुराग ने ट्राईसाइकिल से और संतोष ने साइकिल चलाकर बनाई थी। इस बार यह यात्रा स्कूटी से पूरी की। यात्रा के संबंध में अनुराग ने बताया कि दानापुर से शुरू हुई यात्रा आठ राज्यों से होते हुए सियाचिन पहुंचे। रास्ते में जगह-जगह लोगों ने स्वागत किया और उनके मनोबल को बढ़ाया। पांच जुलाई की शाम इन्होंने ने सियाचीन ग्लेशियर के खरुनदला टॉप पर तिरंगा गाड़ा। बता दें कि इन दोनों को एडवेंचर जर्नी के लिए आर्थिक मदद डॉ रहमान ने किया था। इनकी संस्था गुरुकुल ने दोनों खिलाड़ियो को गोद लिया है। वहीं उन्होंने समाजसेवी अनिल जी और उनके पिता स्वर्गीय छठठु चौधरी जी के पुण्यतिथि पर मिलने वाले सम्मान का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे लोगों को हमारी मेहनत दिखती है, परंतु जिन्हें देखना चाहिए वह पहचानते तक नहीं। राज्य पैरा ओलंपिक संघ बाहरी राज्यों के पारा एथलीटों का सम्मान बुला कर कर रही है। लेकिन इनलोगों को समारोह में आने पर भी प्रतिबंध है।
निर्धन परिवार से है अनुराग:
पटना जिला के अंतर्गत बाली गांव के एक निर्धन परिवार रुदल कुमार और मिंदू देवी के घर जन्मे अनुराग का दोनों पैर पोलियोग्रस्त है। लेकिन हौसले से बुलंद अनुराग ने एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉलीबाल, तैराकी, सिटिंग फुटबाल, योगा, बॉडी डांस शतरंज ओर कराटे सहित नौ खेलो में अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा चुके है। 2013 में अंतरराष्ट्रीय योग चैंपियनशिप में ताइवान में भाग लिया, 2008 में नौ खेलों में प्रतिभाग कर अब तक 49 पदक अपने नाम किये जिसमे 8 राष्ट्रीय में से 2 स्वर्ण 2 रजत 4 कांस्य अपने नाम किया। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में 19 जिला स्तरीय 14 प्रमंडल स्तरीय 8 पदकों से सुशोभित हैं।
अनुराग का अलग से होगा सम्मान:
इस वर्ष अनुराग को सियाचीन दौरे पर बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक अरविंद पांडेय ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। उन्होंने इनका उत्सावर्धन करते हुए कहा था कि राज्य सरकार हरसंभव मदद करेंगी। परंतु आज जब सम्मान की बात आई तो उन्होंने सम्मान की कैटेगरी के नियमों से अलग बताया। हालांकि उन्होंने कहा कि अनुराग हमारे लिए प्रेरक है। उनका सम्मान प्राधिकरण अलग से अवश्य करेगा।
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