Header Ads

Buxar Top News: जारी है रामलीला .. धनुष यज्ञ मंचन देखने के लिए श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब ..



  • सुदामा चरित्र का हुआ मंचन.
  • धनुष यज्ञ का हुआ मंचन.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: रामलीला समिति के तत्वावधान में रामलीला मैदान में आयोजित 21 दिवसीय आयोजन के नौवें दिन रात को धनुष यज्ञ एवं दिन में सुदामा चरित्र भाग 1 का मंचन किया गया. लीला का मंचन श्रीराम श्याम अनुकरण लीला मंडली के द्धारा स्वामी निर्वाण बाबा के निर्देशन में किया गया. धनुष यज्ञ की मंचित लीला को देखने के लिए अपार श्रद्धालुओं भीड़ अंत तक लगी रही. वहीं कृष्ण लीला में सुदामा चरित्र भाग एक के लीला का आकर्षक मंचन किया गया.


दिन में श्रीकृष्ण लीला के तहत सुदामा चरित्र भाग एक का दर्शकों ने दीदार किया. भगवान कृष्ण मथुरा वृज में रहते है. उनके पिता वासुदेव जी कृष्ण को विद्या अध्ययन करने के लिए उज्जैन नगरी में गुरू शांदीपन जी के पास भेंज देते है वहीं पर सुदामा जी विद्या अध्ययन के लिए आये थे. जिसके कारण भगवान श्रीकृष्ण एवं सुदामा में मित्रता होती है. एक दिन गुरू जी सबसे अपना अपना पाठ पुछते है. सुदामा जी को अपना पाठ याद नहीं आता है. इसके कारण गुरू जी ने सुदामा को वन से लकड़ी लाने का दंड देते है. इसे जानकार भगवान श्रीकृष्ण ने भी जान बूझकर अपना पाठ नहीं सुनाते है. दोनों को वन में लकड़ी लाने का दंड मिलता है. दोनों वन में जाते है भगवान पेड़ पर चढ़कर लकड़ियां तोड़ते है तथा सुदामा जी नीचे लकड़ियां तोड़ते है. इस बीच सुदामा जी को भूख लगती है जिसके कारण वे दोनों व्यक्ति के चने स्वयं सुदामा जी ही खा जाते है. भगवान पेड़ से नीचे उतरकर चने मांगते है. सुदामा जी ने भगवान से कहा कि मैं स्वयं ही पूरे चने खा गया हू. लकड़ी लेकर दोनो लोग आश्रम पर आते है. गुरू जी को जब मालूम होता है कि भगवान श्रीकृष्ण अभी भुखे है. तो वे क्रोधित होकर सुदामा जी को श्राप दे दिया कि जाओ तुम दरिद्र हो जाओ.


रामलीला मंचन के तहत रात्रि में धुनष यज्ञ का मंचन किया गया. प्रसंग में पुष्प वाटिका से विश्वामित्र जी भगवान राम एवं लक्ष्मण के साथ राजा जनक जी आयोजित स्वयंबर में पहुंचते है. जहां जनक जी ने उच्च सिंहासन देते है. दरबार मे दूर दराज के राज्यों से सैकड़ों की संख्या में राजा महाराजा पहुंचते है. इसके बाद स्वयंबर तय शर्तों के अनुसार शुरू होता है. बारी बारी से सभी राजाओं ने धनुष तोड़ने का लगातार प्रयास करते रहे. कोई भी राजा धनुष तोड़ नहीं पाया. जिससे जनक जी ने कठोर स्वर बोला. कठोर स्वर सुनने के बाद लक्ष्मण क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपना धनुष पृथ्वी पर पटक दिया. प्रभु श्रीराम के समझाने पर लक्ष्मण जी शांत हुए. इसके बाद गुरू विश्वामित्र ने भगवान श्रीराम को धनुष खंडन करने को कहते है. अपने गुरू का आदेश पाने के बाद भगवान श्रीराम धनुष को आसानी से उठाकर उसे खंडित कर दिया. इस तरह धनुष यज्ञ की मार्मिक लीला को श्रद्धालुओं ने बहुत शालीनता से बैठकर देर रात तक देखते रहे.  














No comments