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Baxar Top News: किसान पाठशाला का हुआ आयोजन, किसानों ने सीखे जल प्रबंधन के गुर ..

कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत गोभी की फसल में जल प्रबंधन विषय पर किसान पाठशाला का आयोजन किया गया. 


- गोभी की फसल की खेती के लिए किसानों दिए गए टिप्स.
- कृषक पाठशाला में उपस्थित रहे किसान.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: शनिवार को बक्सर प्रखण्ड के दलसागर ग्राम में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण, आत्मा,  कृषि विभाग , बिहार सरकार के तत्वाधान में  प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत गोभी की फसल में जल प्रबंधन विषय पर किसान पाठशाला का आयोजन किया गया जिसमें किसान पाठशाला संचालक सोनेलाल सिंह के  प्रक्षेत्र में सहकुड़ विधि से गोभी की ट्रांस्प्लांटिंग का प्रदर्शन किया गया, कार्यक्रम में कृषकों को प्रक्षेत्र पर ही कर के देखो सिद्धान्त के आधार पर खेती के फ़ायदों को दिखाया गया, सदर प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक सौरभ कुमार द्वारा बताया गया कि सहकुड़ विधि के प्रयोग से सिंचाई क्षमता का अभिवर्धन होता है एवम जड़ों के समुचित विकास के कारण फ़सल का प्रदर्शन बहुत ही अच्छा होता है उनके द्वारा गोभी फसल में रोग प्रबंधन पर चर्चा करते हुए बताया गया कि फूलगोभी में मुख्य रूप से गलन रोग, काला विगलन, पर्णचित्ती, अंगमारी, पत्ती का धब्बा रोग तथा मृदु रोमिल आसिता रोग लगते है एवम फफूंदजनित रोग होता है। यह रोग पौधा से फूल बनने तक कभी भी लग सकती है। पत्तियों कि निचली सतह पर जहां फफूंदी दीखते हैं उन्ही के उपर पत्तियों के ऊपरी सतह पर भूरे धब्बे बनते हैं जोकि रोग के तीव्र हो जाने पर आपस में मिलकर बड़े धब्बे बन जाते हैं। काला गलन नामक रोग भी काफी नुकसानदायक होता है। रोग का प्रारंभिक लक्षण “V” आकार में पीलापन लिए होता है। रोग का लक्षण पत्ती के किसी किनारे या केन्द्रीय भाग से शुरू हो सकता है। यह बैक्टीरिया के कारण होता है। इससे बचाव के लिए रोपाई के समय बिचड़े को स्ट्रेप्टोमाइसीन या प्लेन्टोमाइसीन के घोल से उपचारित कर ही खेत में लगाना चाहिए। (दवा कि मात्रा-आधा ग्राम दवा + 1 लीटर पानी) बाकी सभी रोगों से बचाव के लिए फफूंदीनाशक दवा इंडोफिल एम.-45 का 2 ग्राम या ब्लाइटाक्स का 3 ग्राम 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करना चाहिए।
फूलगोभी फसल में किट नियंत्रण पर चर्चा करते हुए बताया गया कि हीरक पृष्ठ कीट के सूड़ी पत्तियों की निचली सतह पर खाते हैं और छोटे-छोटे छिद्र बना लेते हैं। जब इसका प्रकोप अधिक मात्रा में होता है तो छोटे पौधों की पत्तियाँ बिल्कुल समाप्त हो जाती है जिससे पौधे मर जाते हैं एवम तम्बाकू की सूड़ी के व्यस्क मादा कीट पत्तियों कि निचली सतह पर झुण्ड में अंडे देती है। 4-5 दिनों के बाद अण्डों से सूड़ी निकलती है और पत्तियों को खा जाती है। सितम्बर से नवम्बर तक इसका प्रकोप अधिक होता है। जिसका रोकथाम रोगर अथवा  थायोडान कीटनाशी दवा का 1.5 मिली. पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव कर रोकथाम किया जा सकता है, प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक, राजपुर राजेश कुमार राय द्वारा बताया गया कि फूल गोभी की फसल में लाही के प्रकोप से फसल के बीच बीच मे सरसों के पौधों का छद्म पौध के रूप में प्रयोग कर रोकथाम की जा सकती है । कृषक पाठशाला में रितेश कुमार, छोटेलाल, राम विलास, प्रदीप कुमार, मधु सिंह, झुनझुन महतो सहित कई किसान उपस्थित थे ।
 














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