Buxar Top News: सिय_पिय मिलन महोत्सव: जनकपुर में श्रीराम लक्ष्मण को देख सुंदरता पर मंत्रमुग्ध हुई जनकपुर की नारियां ..
सिय-पिय मिलन महोत्सव महर्षि खाकी बाबा सरकार के 48 वें निर्वाण दिवस के अवसर पर सीता राम विवाह स्थल पर कार्यक्रम के पांचवें दिन सुबह से ही कार्यक्रमों का आयोजन लगातार जारी रहा.
- मंगलवार को पुष्प वाटिका प्रसंग का होगा मंचन, देखने के लिए जुटने लगी श्रद्धालुओं की भीड़
- आयोजन का आज था पांचवा दिन, देर रात तक डटे रह रहे हैं श्रद्धालु.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सिय-पिय मिलन महोत्सव महर्षि खाकी बाबा सरकार के 48 वें निर्वाण दिवस के अवसर पर सीता राम विवाह स्थल पर कार्यक्रम के पांचवें दिन सुबह से ही कार्यक्रमों का आयोजन लगातार जारी रहा. सुबह से ही आश्रम परिसर स्थित राम जानकी मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना शुरू कर दिया. कार्यक्रम स्थल पर भक्ति की रसधार पूजन अर्चन के साथ ही बहनी शुरु हो गयी. कार्यक्रम पूजा अर्चना के बाद सुबह रामचरितमानस का सामूहिक नवाह परायण पाठ से शुरू हुआ. उसके बाद पूरे दिन कार्यक्रमों का दौर चलता रहा और देर रात रामलीला के मंचन के साथ ही विराम हुआ. दोपहर में मिथिला के श्री विश्वनाथ शुक्ला श्रृंगार जी के द्वारा झांकी एवं पदगायन किया गया. दिन में रासलीला, पदगायन, भक्तमाल कथा कथा रामलीला मंचन का लाभ पूरे दिन श्रद्धालु उठाते रहे. विवाह की तिथि निकट होने के साथ ही दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. सोमवार की रात्रि में रामलीला के तहत जनकपुर प्रवेश एवं नगर दर्शन प्रसंग का बहुत ही आकर्षक रूप से मंचन किया गया. जिसे देख श्रद्धालु आनंदमय हो गये. वही मंगलवार को दिन में रामलीला के तहत पुष्प वाटिका प्रसंग के मार्मिक दृश्य को देखने के लिए बाहर से हजारों श्रद्धालु पहुंच गए हैं तथा अभी भी बाहर से आश्रम पर श्रद्धालुओं के आने का क्रम लगातार जारी है. पूरे रामलीला के तहत दिन में आयोजित होने वाले पुष्प वाटिका प्रसंग दृश्य को देखने से कोई भी व्यक्ति व श्रद्धालु चूकना नहीं चाहता है.
आमंत्रण पा विश्वामित्र राम लक्ष्मण के साथ पहुँचे जनकपुर, लीला मंचन:
जनकपुर में सीता जी के स्वयंवर की तैयारियां के साथ शुरू हुयीं और इस उत्सव में भाग लेने के लिये राजा जनक ने गुरु विश्वामित्र को आमंत्रण भेजा. गुरू विश्वामित्र अपने साथ दोनों राजकुमारों राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर की ओर रवाना होते हैं. गंगा नदी के घाट पर राम लक्ष्मण का पंडा से रोचक संवाद होता है.जिस समय ऋषि विश्वामित्र जनकपुर में प्रवेश किए, उनके स्वागत को जनक जी दौड़े आए. जनक जी ने ऋषिराज से कुशल क्षेम जाना और साथ में आये दोनों राजकुमार के बारे में जानकारी ली. जनकपुर में उनके पहुँचने पर भव्य अगुवानी होती है.
दोनों भाइयों को देख मंत्रमुग्ध हुई जनकपुर की नारी:
जनकपुर में राम और लक्ष्मण अपने गुरू से नगर घूमने कीइच्छा जताते हैं.गुरू की आज्ञा पाक3र नगर भ्रमण पर निकले दोनों कुमारों को देखकर जनकपुर के नर-नारी हर्षित होते हैंऔर बहुत जल्दी दोनों कुमारों की पुरवासियों से मित्रता हो जाती है.
हिय हर्षहिं बरसहिं सुमन,सुमखि सुलोचन वृंद
जायें जायें जहां जहां बंधु दोई, तँह तँह परमानन्द.
झरोखों से जनकपुर की नारियाँ दोनों कुमारों की शोभा देखकरप्रफुल्लित हो रही हैं और हर ओर चर्चाओं में अवध के कुमारही छाये हैं. महिलायें शगुन साध रही हैं कि इन दोनों में से ही यदि किसी का सीता जी से विवाह हो जाये तो कितना अच्छा होगा. जब इनकी हमारे राजा से रिश्तेदारी हो जायेगी तो इनका जनकपुर में आना जाना बना रहेगा और इस बहाने हम सभी को भी उनके मनभावन दर्शन प्राप्त होते रहेंगे. झरोखा सखियों के कर्णप्रिय गीतों ने अच्छा समां बांधा.
याचकों को दान के लिए नरसी ने मूँछ को रखा गिरवी:
रासलीला में नरसी मेहता प्रसंग का काफी रोचक मंचन किया गया. नरसी जी अपना सबकुछ दान करने के बाद जब साधु-संतों के साथ तीर्थयात्रा कर रहे थे तो उनकी मुलाकात कुछ याचकों से हुई. वे उनसे धन, भोजन और जीवन के लिए जरूरी चीजें मांगने लगे. चूंकि भक्त नरसी अपना सर्वस्व दान कर ही चुके थे, इसलिए वे धन देने में समर्थ नहीं थे. आखिरकार उन्हें एक उपाय सूझा. वे एक साहूकार के पास गए और अपनी मूंछ का एक बाल उसके पास गिरवी रख आए. साहूकार ने उन्हें मूंछ के बाल के बदले कर्ज दे दिया. नरसीजी ने वह पूरा धन याचकों को दे दिया. इस घटना को जब एक व्यक्ति ने देखा तो उसे लालच हो गया. वह भी इसी तरीके से धन पाना चाहता था.
नरसी में दीन-दुखी के लिए समर्पण का था भाव:
मौका देखकर वह उसी साहूकार के पास गया और बोला- मुझे भी मूंछ के बाल के बदले उतना ही धन दे दीजिए जितना कि आपने नरसी को दिया था. साहूकार ने सहमति जता दी. उसने मूंछ का बाल मांगा. साहूकार ने व्यक्ति के हर मूंछ के बाल में कमी निकालता गया. आखिर उस व्यक्ति ने पूछा- मुझे मूंछ का बाल तोड़ने में जो दर्द हो रहा है, उसका आपको अंदाजा भी नहीं है. मेरी आंखों में आंसू आ गए हैं. साहूकार ने कहा- मित्र, तुम्हारी मूंछ का बाल इस योग्य ही नहीं कि मैं उसे गिरवी रखकर एक फूटी कौड़ी भी दे दूं. मैंने नरसी को भी इसी तरह परखा था, परंतु उसने अपनी तकलीफ की परवाह नहीं की. उसके लिए तो याचकों का अभाव ही सबसे बड़ा दर्द था. इसलिए मैंने उसके मूंछ के बाल के बदले धन दे दिया. जिसमें दीन-दुखी के लिए इतना समर्पण हो, उसे मानव ही नहीं ईश्वर भी इंकार नहीं कर सकता.
मंगलवार को होगा पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन:
रामलीला के मंचन में महत्वपूर्ण व मार्मिक प्रसंग का विशेष आयोजन पुष्प वाटिका का मंचन कल दिन में होगा. श्रद्धालु प्रिय पुष्प वाटिका प्रसंग के लिए मुख्य रूप से मंच से अलग मंच का निर्माण होगा. यह मंच पंडाल के बीच में बनाया जाएगा. पुष्प वाटिका प्रसंग का आश्रम के परिवारों द्वारा जीवंत प्रस्तुति किया जाएगा. सीता राम विवाह आश्रम के महंत राजा राम शरण जी महाराज पुष्प वाटिका प्रसंग में माली की भूमिका बरसों से स्वयं निभाते हैं.
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