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संघर्ष भरी जिंदगी को छोड़ अलविदा हुए अधिवक्ता, न्यायालय में नो वर्क..

 शोक सभा आयोजित कर अधिवक्ता मनोज सिन्हा के लिए मौन रख श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस वजह न्यायिक कार्य से अधिवक्ता विरत रहेंगे

-अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव का निधन होने के कारण न्यायालय में रहेगा नो वर्क.

- दिवंगत साथी की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित करेगा अधिवक्ता संघ.


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: व्यवहार न्यायालय से संबंधित अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव का निधन हो गया है. दिवंगत साथी के आत्मा के शांति हेतु आज अधिवक्ता न्यायालय में कार्य नहीं करेंगे. शोक सभा आयोजित कर अधिवक्ता मनोज सिन्हा के लिए मौन रख श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस वजह न्यायिक कार्य से अधिवक्ता विरत रहेंगे. इसकी जानकारी अधिवक्ता संघ के महासचिव गणेश ठाकुर ने दी. 

दूसरी तरफ पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मनोज कुमार श्रीवास्तव के पिता- स्व. शशिभूषण श्रीवास्तव पेशकार का कार्य करते थे. न्यायिक कार्यों के साथ साथ स्वर्गीय मनोज श्रीवास्तव जजेस कॉलोनी में बिजली मिस्त्री का भी काम करते थे. जेब में कलम के साथ साथ वह टेस्टर और पिलास भी लेकर घूमा करते थे. बताया यह भी जाता है कि आर्थिक विपन्नता ने उनको मानसिक अवसाद देने के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी काफी दुर्बल बना दिया था. घर वालों से भी उनके बहुत बेहतर संबंध नहीं रहे सूत्रों की मानें तो उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ तलाक की अर्जी भी दी थी. जिसके बाद वह अपने दो बच्चों के साथ पटना स्थित अपने मायके रहा करती थी. हालांकि, तकरीबन 10 दिनों पूर्व वह वापस आ गई थी तथा सभी अब एक साथ ही रह रहे थे. इसी बीच यह घटना सामने आई. मानसिक अवसाद में वह कई कई दिन भूखे भी रह जाते थे, जिसके कारण शारीरिक रूप से वह बेहद दुर्बल हो चुके थे. ऐसा माना जा रहा है कि इसी वजह से तकरीबन 50 वर्ष की अल्पायु में ही उनकी मौत हो गई. स्वर्गी अधिवक्ता के जानने वाले बताते हैं कि उन्होंने ताउम्र जिंदगी से संघर्ष जारी रखा और अंततः जिंदगी ही उनसे हार गयी.

- न्यायालय सवांददाता राघव पाण्डेय की रिपोर्ट
























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