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धर्म के पालन को वन गमन को गए थे श्री रामचंद्र - आचार्य पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज

इस रामायण में माता सीता के चरित्र की महत्ता होती है इसलिए श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज सदैव कहते हैं सीतायाः चरितं महत: 

- श्रीमन माधव गौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने बताए कई अनसुने प्रसंग.
- शत्रुघ्न को मिला माता जानकी का दिव्य आशीर्वाद.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: रामायण में श्री रामचंद्र ने ना तो अपने गुरु और ना ही अपने पिता के आदेश से वन गमन किया था बल्कि वह तो अपने धर्म के पालन हेतु वन गमन को गए थे. यह बात वृंदावन से पधारे वाल्मीकि रामायण के प्रसिद्ध कथा वाचक श्रीमन माधव गौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने कही.

तुलसीकृत रामायण में जहां श्री राम के जन्म से लेकर उनके वन गमन का प्रसंग दिखाया जाता है. वहीं महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण में भगवान श्री राम के वन गमन के पश्चात होने वाली घटनाओं का उल्लेख मिलता है. इस रामायण में माता सीता के चरित्र की महत्ता होती है इसलिए श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज सदैव कहते हैं सीतायाः चरितं महत: श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज पहली बार सिय-पिय मिलन महोत्सव समारोह में शामिल होने वर्ष 2015 में आए थे इस बार उनका दोबारा आगमन हुआ है.

दूसरे दिन के अपने प्रवचन के दौरान श्री महाराज ने श्रोताओं को वाल्मीकि रामायण में वर्णित शत्रुघ्न आशीर्वाद एवं लव कुश जन्म प्रसंग का रसपान कराते हैं. इस प्रसंग की व्याख्या करने के क्रम में उन्होंने बताया कि शत्रुघ्न जी लवणासुर से युद्ध करने जा रहे होते हैं, तभी वह सोचते हैं कि क्यों ना एक बार सीता भाभी का दर्शन कर लूं. जब वह माता सीता के दर्शन करने जाते हैं तो माता सीता उनसे कहती है कि आप ठीक 9 माह बाद पुनः यहां आइएगा. क्योंकि ठीक 9 माह बाद क्षत्रिय वंश के वंशज जन्म लेने वाले हैं. उनके जन्म के समय अगर किसी क्षत्रिय पुरुष की उपस्थिति वहां नहीं होगी तो उनमें राजत्व के गुण ना होकर ब्राम्हणत्त्व के गुण आ जाएंगे. जिससे राज-काज की परंपरा का निर्वहन में परेशानी होगी. ऐसे में उस वक्त आपका रहना आवश्यक होगा. शत्रुघ्न जी चूँकि माता सीता का आशीर्वाद लेने गए थे और उन्हें 9 माह बाद उपस्थित होने का आदेश मिल गया ऐसे में यही आदेश उनके लिए माता के द्वारा दिया हुआ दिव्य आशीर्वाद साबित हुआ. उन्होंने कहा कि अब मेरी जीत निश्चित है, क्योंकि मुझे माता से दिया वचन जो निभाना है.
























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