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हर दिल अजीज गुप्तेश्वर पांडेय ने संघर्षों से पायी है सफलता ..

फेम इंडिया मैगजीन ने भी गुप्तेश्वर पांडेय को 25 सर्वश्रेष्ठ सुपर कॉप्स 2017 (बिहार) में जगह दी थी. सात कैटेगेरी क्राइम कंट्रोल, ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा, अपने कर्मियों से संबंध, पब्ल्कि रिलेशन, छवि और कार्यकाल के आधार पर सर्वे में इन्हें उच्च रेटिंग मिली थी

- विषम परिस्थितियों में कड़ी मेहनत से पाया लक्ष्य.

- धाकड़ पुलिसिंग के लिए हमेशा किए जाते हैं याद.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिहार पुलिस के नए डीजीपी बनने जा रहे गुप्तेश्वर पांडेय किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उनका पुलिसिंग कॅरियर ही बेमिसाल है. पुलिस कप्तान के रूप में भी वे जिस जिले में रहे, अपराधियों में  दहशत रही. बताया जाता है कि गुप्तेश्वर पांडेय की कार्यशैली ही ऐसी है, कि वह जहां भी जाते हैं अपराधियों में दहशत और आम लोगों में कानून के प्रति आस्था पैदा करते हैं. वर्तमान में उन्होंने शराबबंदी को प्रभावी बनाने के लिए महाभियान चला रखा है. जिसके लिए पूरे बिहार में उन्होंने युवाओं को इस अभियान से जोड़ा तथा यूथ ब्रिगेड बना कर जनता के बीच जागरूकता लाने का सराहनीय प्रयास किया.

अपने एक सर्वे के आधार पर फेम इंडिया मैगजीन ने भी गुप्तेश्वर पांडेय को 25 सर्वश्रेष्ठ सुपर कॉप्स 2017 (बिहार) में जगह दी थी. सात कैटेगेरी क्राइम कंट्रोल, ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा, अपने कर्मियों से संबंध, पब्ल्कि रिलेशन, छवि और कार्यकाल के आधार पर सर्वे में इन्हें उच्च रेटिंग मिली थी. बिहार पुलिस के नए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय 1987 बैच के आईपीएस अफसर हैं. जिले के छोटे से गांव गेरुआबंध में 1961 में इनका जन्म हुआ था. ग्रामीण माहौल में श्री पांडेय ने अपनी स्कूलिंग की. घर, गांव और समाज में पढ़ाई-लिखाई का बिल्कुल माहौल नहीं होने के बाद भी उनके दिल में आगे बढ़ने का काफी जज्बा था. यही वजह रही कि उन्हें पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सका.

12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी में अपना एडमिशन कराया. खास बात कि उन्होंने अपनी मेरिट, लेबर और विल पावर के बल पर बिना किसी कोचिंग के 1986 में आईआरएस और फिर 1987 में आईपीएस बने. सबकुछ उन्होंने सेल्फ स्टडी के बल पर किया. अब तक की पुलिसिंग में गुप्तेश्वर पांडेय एएसपी, एसपी, एसएसपी, डीआईजी, आईजी, एडीजी तथा डीजी बने. अब वह बिहार पुलिस के मुखिया पुलिस के डीजीपी हैं. उन्होंने अपने कॅरियर के दौरान बिहार के लगभग 26 जिलों में वे अपनी सेवाएं दी हैं. जहां उनकी कार्यशैली की प्रशंसा आज भी लोग करते हैं.

बक्सर में उनको जानने वाले बताते हैं कि जब भी किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह जिले में आते हैं तो उन लोगों से पूरी आत्मीयता के साथ मिलते हैं. उनकी यही आत्मीयता उन्हें औरों से अलग बना देती है. यूथ ब्रिगेड के गठन के पश्चात उनसे जुड़े युवा भी उनके इसी अपनेपन के कायल है. प्रतापसागर के रहने वाले कृष्णा शर्मा बताते हैं कि यूथ ब्रिगेड के गठन के पश्चात जब उनसे पहली बार मुलाकात हुई तो भी श्री पांडेय उनसे ऐसे मिले जैसे वर्षों से परिचित हो. उन्होंने कहा कि बिना जन जागृति के कोई भी अभियान सफल नहीं हो सकता है. उन्होंने युवाओं को लोगों के बीच जाकर शराब की कुरीति को छोड़ने की अपील करने की बात कही. डीजीपी बनने की खुशी में श्री पांडेय ने गुरुवार को यूथ ब्रिगेड के सभी सदस्यों को पटना बुलाया है.

इटाढ़ी प्रखंड के उनवास के रहने वाले कृषक छट्ठू प्रसाद बताते हैं कि बड़े पुलिस अधिकारी होने के बाद भी वह जब उनसे मिलते हैं तो उन्हें नाम से ही बुलाते हैं. यह अपनापन वह कभी भूल नहीं पाते हैं. रेड क्रॉस के सचिव डॉ. श्रवण तिवारी का कहना है कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भरी उनकी बातें लोगों (खासकर युवाओं) पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं तथा उन्हें समाज में बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है. यूथ ब्रिगेड भी इसी का एक जीवंत उदाहरण है.













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