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जयंती पर याद किए गए नेताजी ..

उन्होंने बताया कि बताया कि नेता जी कहा करते थे कि ,"सफलता हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है". इसलिए असफलता से कभी भी घबराना नहीं चाहिए. यही नहीं सुभाष चंद्र बोस कहा काम करते थे कि उच्च विचारों से व्यक्तित्व की कमजोरिया दूर होती हैं. इसलिए व्यक्ति को सदैव उच्च विचार पैदा करते रहने चाहिए.

- पुष्पांजलि अर्पित कर बच्चों ने किया नमन.
- नेताजी के जीवन से अवगत हुए बच्चे.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 122 वी जयंती नगर के पांडेय पट्टी स्थित लोयला स्कूल में बच्चों के द्वारा उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर मनाई गई.

इस दौरान विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती समीक्षा तिवारी ने बच्चों को नेता जी के जीवन से परिचित कराया. उन्होंने कहा कि 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में  कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में उनका जन्म हुआ था.  उनके पिता जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे. नेताजी ने अंग्रेजी शासनकाल में  सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था . बाद में  आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए उन्होंने सिविल सर्विस को छोड़ दिया सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी  व्यक्तित्व के धनी थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की तथा आजाद हिंद फौज का गठन कर कर अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी थी. नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चंद्र बोस 4 जुलाई 1944 को वर्मा पहुंचे यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" दिया.

प्राचार्या ने बच्चों को  नेता जी के जीवन से सीख लेने की प्रेरणा दी. उन्होंने बताया कि बताया कि नेता जी कहा करते थे कि "सफलता हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है". इसलिए असफलता से कभी भी घबराना नहीं चाहिए. यही नहीं सुभाष चंद्र बोस कहा काम करते थे कि उच्च विचारों से व्यक्तित्व की कमजोरिया दूर होती हैं. इसलिए व्यक्ति को सदैव उच्च विचार पैदा करते रहने चाहिए.

मौके पर विद्यालय के सभी शिक्षक शिक्षिकाएं तथा गैर शैक्षणिक कर्मी मौजूद थे, जिनमें जितेंद्र कुमार, पुनीत कुमार, प्रियंका कुमारी, रूपा सहाय, आफरीन, राकेश कुमार निराला, निशा कुमारी, ज्ञानचंद कुमार, अलका कुमारी, राकेश रंजन, रितु कुमारी, शाहीन परवीन, शोभा कुमारी, प्रिया, शुभम कुमार, वंदना कुमारी, विंध्यवासिनी कुमारी अमृत लाल सिंह प्रमुख थे.













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