बक्सर के नरेंद्र ने लिखी नितीश के विकास की गाथा ..
बक्सर की माटी से निकले श्री नरेंद्र ने वर्ष 1981 में एमवी कॉलेज ने छात्र संघ का चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी
- किसान पुत्र ने 125 अध्यायों में पिरोई विकास की कहानी.
- संसद की अस्थिरता पर कर रहे हैं अध्ययन.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले की ऐतिहासिक भूमि से निकले माटी के लाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर किताब लिखकर जिले को एक बार फिर गौरवान्वित किया है.
किताब का नाम है 'संसद में विकास की बातें'। इस किताब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार के विकास व समाज में बदलाव के लिए उठाए गए साहसिक व एतिहासिक कार्यों पर विस्तार से चर्चा की गई है। बक्सर के राजपुर प्रखंड के कुसुरपा गाँव के रहने वाले किसान पारसनाथ पाठक तथा स्वर्गीय चंद्र तारा देवी की चौथी संतान एवं इस किताब के लेखक सह संपादक नरेंद्र पाठक ने नीतीश कुमार के शराबबंदी को नया बिहान व नई रोशनी की संज्ञा दी है. नरेंद्र पाठक ने बीएचयू से कर्पूरी ठाकुर की राजनीति पर शोध की उपाधि प्राप्त की है. इसके पहले वर्ष 2008 में उनकी लिखी पुस्तक "कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद" तथा 2010 में "बिहार की खोज" प्रकाशित हो चुकी है. फिलहॉल वे लोकसभा फेलोशिप के अंतर्गत संसद की अस्थिरता पर अध्ययन कर रहे हैं. संसद में विकास की बातें पुस्तक का लोकार्पण 23 अक्टूबर को समारोह पूर्वक बिहार विधान परिषद सभागार पटना में किया गया.
'संसद में विकास की बातें' पुस्तक के माध्यम से आम लोग खास कर नयी पीढ़ी को लोकसभा की कार्यवाही की जानकारी मिल सकेगी़ किताब में संसदीय यात्रा के क्रम में नीतीश कुमार ने सरकार और समाज से जुड़े मुद्दोें को आम विमर्श के केंद्र में कैसे लाया, और शासन में आने के बाद उन मुद्दों के संधान में कैसे जुट गये, इसकी पूरी तसवीर दिखती है़. संसद की कार्यवाही के दौरान नीतीश कुमार ने बतौर एक सांसद, कृषि राज्यमंत्री व रेल मंत्री की हैसियत से जो भी बातें कहीं, उसे पुस्तक के 125 अध्यायों मे पिरोया गया है़.
बक्सर की माटी से निकले श्री नरेंद्र ने वर्ष 1981 में एमवी कॉलेज ने छात्र संघ का चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. वर्ष 1994 से 2007 तक वह समाजवादी पार्टी के प्रांतीय महासचिव के रूप में कार्यरत रहे. श्री नरेंद्र ने किशन पटनायक के साथ मिलकर डंकल प्रस्ताव का विरोध भी किया था. 24 जनवरी 2008 को उन्होंने जनता दल यूनाइटेड की सदस्यता ले ली. श्री पाठक की सहधर्मिनी पूनम कुमारी बिहार विधानसभा अध्यक्ष की आप्त सचिव भी रह चुकी है. श्री पाठक बताते हैं कि बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के अभिभाषणों को संपादित कर प्रकाशित करने का अवसर मुझे मिला था। 14वीं बिहार विधानसभा के शुरुआती वर्षो में (2006 में) डॉ कलाम बिहार आये थे. बिहार विधानमंडल के संयुक्त तत्वावधान में बिहार के विकास के लिए 10 मार्गदर्शी सूत्रों को बताया था. बाद के दिनों में बिहार में सरकार के द्वारा जो भी निर्णय लिए गये उस पर डॉ कलाम के सुझावों की स्पष्ट छाप दिखाई दे रही थी. उसका कारण यह था कि नीतीश कुमार एक व्यक्ति के रूप में डॉ कलाम से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने जो सूत्र सामने रखे, उन सूत्रों को नीतीश कुमार ने एक मुख्यमंत्री के रूप में तमाम अवरोधों के बावजूद, अपने शासन के एजेंडे में प्रमुखता से लागू किया. बिहार में पहली बार कोई मुख्यमंत्री शासन को जनता के पक्ष में निर्णय लेने के लिए उसके दरवाजे पर दस्तक दे रहा था, समाज के सबसे बेसहारा जातियों को अपने एजेंडे में प्राथमिकता दे रहा था और महिलाओं को स्थानीय शासन में 50 फीसदी हिस्सेदारी देकर सामाजिक परिवर्तन के नये युग में बिहार को ले जा रहा था. गांव की लड़कियां स्कूल में आठवीं कक्षा तक जाते-जाते ठिठक जाती थीं. सामाजिक तानाबाना, यातायात के साधन और स्कूलों की दूरी जैसी प्रत्यक्ष-परोक्ष कारणों को पार करते हुए गांव ओर गलियों की सड़कों का निर्माण और 50 फीसदी महिला आरक्षण के साथ लड़कियों को साइकिल देकर तो जैसे एक युग को पंख लग गये. उन्होंने कहा कि मेरे गांव की लड़कियां भी समूह में और अकेले भी स्कूल जाने लगी-यह सब जो नितीश कुमार कर रहे थे उसके संबंध में बिहार विधानसभा के समक्ष जो बात उन्होंने बतायी, उसे पुस्तकाकार देते हुए मेरी पुस्तक तैयार हो गयी. जिसके बाद इसका विधिवत विमोचन कराया गया.
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