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प्रभार में चल रहे परिवहन विभाग को संभाल रहे दलाल ..

अब इसे कार्य का अत्यधिक दबाव कहा जाए अथवा दलाल संस्कृति को बढ़ावा देने की पहल, किसी भी साधारण व्यक्ति द्वारा कर्मियों से छोटी से छोटी जानकारी मांगने पर भी टालमटोल भरा रवैया अपनाया जाता है. नतीजा यह होता है कि लोग किसी भी जानकारी को पाने के लिए इधर उधर भटकने लगते हैं, जिसका लाभ दलाल उठाते हैं

- परिवहन मंत्री के जिले के परिवहन कार्यालय का बुरा है हाल.

- अधिकारी रोते हैं रोना मुश्किल है 2 जिलों को संभालना.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: परिवहन विभाग इन दिनों अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है. विभाग के अधिकारी एक साथ दो दो जिलों के प्रभार में है इससे ना सिर्फ परिवहन विभाग का कामकाज प्रभावित हो रहा है बल्कि, विभाग पर दलालों का भी कब्जा हो गया है. स्थिति यह है कि मामूली कार्य के लिए भी दलालों को मनमाना शुल्क अदा करने के बाद ही कोई भी कार्य विभाग में कराया जा सकता है. नतीजा यह होता है कि या तो आप दलालों को मनमानी राशि अदा करिए अथवा अपना कार्य कराने के लिए महीनों विभाग में चक्कर लगाते रहिए.

अलग-अलग अधिकारियों के जिम्मे है बक्सर की कमान:

परिवहन विभाग को बड़े अधिकारी परिवहन पदाधिकारी रोहतास जिले के परिवहन पदाधिकारी हैं तथा उन्हें बक्सर का अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है. उसी तरह परिवहन निरीक्षक भी दो जिलों के प्रभार में हैं. पहले से वह भोजपुर जिले के प्रभारी थे वर्तमान में उन्हें बक्सर जिले का भी कार्य देखना पड़ता है, ऐसे में उनका प्रतिदिन बक्सर आना संभव नहीं हो पाता. बताया जाता है कि परिवहन पदाधिकारी जहां केवल शुक्रवार तथा शनिवार को जिले में दर्शन देते हैं, वहीं परिवहन निरीक्षक केवल मंगल व बुध को ही बक्सर पहुंचते हैं. सूत्रों की मानें तो निरीक्षक तो कार्यालय भी नहीं आते बल्कि वह किसी निजी होटल में बैठकर ही कार्यालय का काम निबटाते हैं और वहीं से वापस लौट जाते हैं.


पूरी तरह से दलालों के कब्जे में है विभाग, दिन भर देखी जा सकती है सक्रियता:

परिवहन विभाग का भवन समाहरणालय भवन के ठीक पीछे  बना हुआ है. यहां पहुंचने पर आपको कार्यालय के अंदर तथा बाहर बैठे कई दलाल मिल जाएंगे. नया लाइसेंस बनवाना वाहन के स्वामित्व का स्थानांतरण कराना हो अथवा नए वाहन का निबंधन कराना हो किसी भी कार्य के लिए आपको इनका सहारा ही लेना होगा अन्यथा आपका कार्य कितने दिनों में हो पाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं होती. नतीजा यह होता है कि निर्धारित शुल्क से कहीं ज्यादा राशि किसी भी कार्य के लिए लोगों को अदा करनी पड़ती है.

आम लोगों के लिए प्रवेश निषेध, आरटीपीएस काउंटर में दलालों का होता है स्वागत:

परिवहन कार्यालय के ठीक सटे बने आरटीपीएस भवन के अंदर सुबह से लेकर शाम तक लोगों का तांता लगा रहता है. हालांकि, ये लोग ना तो अपना कोई काम लेकर आए लोग होते हैं और ना ही कार्यालय के कोई कर्मी.  बल्कि ये वही दलाल होते हैं जो परिवहन विभाग से जुड़ा कोई भी कार्य आसानी से करवा देने का दावा करते नजर आते हैं. सूत्रों की मानें तो आरटीपीएस के कर्मी भी आम लोगों की जगह केवल दलालों के द्वारा दिए गए कार्य को करने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं. क्योंकि प्रत्येक काम के लिए उन्हें भी मोटी रकम बतौर कमीशन दी जाती है.

जानकारी मांगने पर भड़क जाते हैं कर्मी:

अब इसे कार्य का अत्यधिक दबाव कहा जाए अथवा दलाल संस्कृति को बढ़ावा देने की पहल, किसी भी साधारण व्यक्ति द्वारा कर्मियों से छोटी से छोटी जानकारी मांगने पर भी टालमटोल भरा रवैया अपनाया जाता है. नतीजा यह होता है कि लोग किसी भी जानकारी को पाने के लिए इधर उधर भटकने लगते हैं, जिसका लाभ दलाल उठाते हैं एवं निर्धारित से ज्यादा शुल्क देकर काम कराने को मजबूर कर देते हैं.

कहते हैं परिवहन पदाधिकारी: 

मामले में प्रभारी परिवहन पदाधिकारी मोहम्मद जिया उल्लाह से बात करने पर उन्होंने जो कहा उनका दर्द बयान करता है उन्होंने कहा कि "दो जिलों का कार्य देखना परेशानी से भरा है। 90 किलोमीटर की यात्रा कर बक्सर पहुंचना कष्टप्रद है. हालांकि, यह सरकारी नौकर होने की मजबूरी है. सप्ताह में शुक्रवार तथा शनिवार को निश्चित रूप से बक्सर पहुंच जाता हूँ. बक्सर छोटा जिला है जहां दलालों के पनपने का कोई सवाल ही नहीं उठता.
















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