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पार्टी आलाकमान करेगा चूक तो चुनाव के पहले ही मिल जाएंगे परिणाम- विनोद चौबे


 


उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा लोगों की मनोभावनाओं को समझते हुए निर्णय लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बड़े नेता को पार्टी की ओर से मान सम्मान देने के चक्कर में यह सीट हाथ से निकल सकती है

- बोले पूर्व आईआरएस, टिकट देने में हुई चूक पड़ सकती है भारी.

- पार्टी की नजरों में नहीं बल्कि जनता की नजरों से आंकना होगा नेता का कद.


बक्सर टॉप न्यूज़ बक्सर जिले में पहुंचने वाला कोई भी बड़ा नेता केवल बक्सर को अपने भ्रमण का एक स्थल ही समझेगा. उसे बक्सर के विकास से कोई भी मतलब नहीं होगा. ऐसे में भाजपा के शीर्ष नेताओं को यह सोचना होगा कि जो व्यक्ति उनकी नजर में बड़ा है वह जनता की नजर में बड़ा है कि नहीं. यह कहना है पूर्व आईआरएस अधिकारी तथा भाजपा नेता विनोद चौबे का. उन्होंने सोमवार को एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि ऐसा सुनने में आ रहा है कि बक्सर से भाजपा पुनः अश्विनी चौबे को उम्मीदवार के रूप में खड़ा कर रही है. ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि पार्टी की तरफ से कई तरह के सर्वे कराए जाते हैं. जनता का विचार लिया जाता है. पार्टी के संगठन का विचार लिया जाता है. तब जाकर निर्णय होता है. यह सर्वविदित है कि अश्विनी चौबे बक्सर के रहने वाले नहीं हैं. और वह अब जनता की पसंद भी नहीं है. साथ ही साथ यहां के पार्टी संगठन में भी उनके खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे हैं. ऐसे में उनका चुनावी मैदान में उतरना बाहरी तथा स्थानीय के मुद्दे को खड़ा कर सकता है. जिससे कि पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है. ऐसी स्थिति में पटना और दिल्ली में बैठे भाजपा के शीर्ष नेताओं का निर्णय किस आधार पर लिया जाता है यह देखने और समझने लायक होगा. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बक्सर निवासियों या बक्सर के भूमिपुत्र से उनका अधिकार छीन कर किसी और को दिया जाएगा?

 उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा लोगों की मनोभावनाओं को समझते हुए निर्णय लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बड़े नेता को पार्टी की ओर से मान सम्मान देने के चक्कर में यह सीट हाथ से निकल सकती है. अब ऐसी स्थिति में जिम्मेदारी किसकी होगी. श्री विनोद ने कहा कि एनडीए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बहुत बड़े- बड़े काम किए. देश को आगे बढ़ाया. लेकिन ये दुर्भाग्य की बात है कि अभी भी बहुत सारे अच्छे कामों को नजरअंदाज कर जाति-पाति, धर्म एवं संकीर्ण सोच के आधार पर मतदान किया जाता है. उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के समय बक्सर में भाजपा के बहुत सारे शीर्ष नेताओं ने प्रचार किया, लेकिन इस जिले की चारों सीट से भाजपा हार गई. यह एक लोकतांत्रिक पार्टी के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी विडंबना बड़े नाम को लेकर है. और सोचने की जरूरत है कि बड़ा नाम आपकी नजर में है या वहां की जनता की नजर में. अगर यह चूक हुई तो परिणाम चुनाव के पहले ही तय है.














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