वीडियो: पीटी व सामूहिक प्रार्थना से जीवन में आई नीरसता को दूर कर रहे कैदी..
जेल प्रशासन का यह प्रयोग कैदियों को खूब भा रहा है. दरअसल, एक तरफ जहां उन्हें दिन भर के लिए शारीरिक स्फूर्ति मिल जा रही है,वहीं सुबह-सुबह ईश्वर को याद कर उनका दिन भी मंगलमय हो जा रहा है.
- खुशनुमा माहौल में कैदी कर रहे हैं अपने दिन की शुरुआत.
- मानसिक शांति के लिए कैदी कर रहे हैं लाफ्टर थेरेपी का प्रयोग.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: केंद्रीय कारा के बंदी रविवार की सुबह तेज कदमों के साथ कारा के अंदर बने मैदान में जमा हो रहे थे. सभी कैदी अत्यंत उत्साह से भरे हुए थे. उत्साहित भी क्यों ना हो? अब जेल प्रशासन के द्वारा उनके जीवन में एक नया बदलाव लाने की पहल जो की जा रही है. दरअसल, कारा महानिदेशक के निर्देशानुसार सूबे के सभी जेलों में कैदियों के बौद्धिक तथा मानसिक विकास को लेकर चलाए जा रहे अभियान के तहत अब सुबह की शुरुआत पीटी एवं प्रार्थना सत्र के साथ हो रही है. जेल प्रशासन का यह प्रयोग कैदियों को खूब भा रहा है. दरअसल, एक तरफ जहां उन्हें दिन भर के लिए शारीरिक स्फूर्ति मिल जा रही है,वहीं सुबह-सुबह ईश्वर को याद कर उनका दिन भी मंगलमय हो जा रहा है.
रिटायर्ड वारंट ऑफिसर बने हैं कैदियों के ट्रेनर:
कैदियों को पीटी व कसरत कराने के लिए उन्ही के बीच से ही एक कैदी का चुनाव किया गया है. दरअसल, बगेन गांव के रहने वाले तथा वायु सेना में वारंट ऑफिसर रह चुके राम प्रवेश सिंह पिता रामजन्म सिंह हत्या के एक मामले में अभियुक्त बना दिए गए हैं. जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है. वह फरवरी माह से जेल में बंद हैं. सेना के कठोर अनुशासन में रह चुके राम प्रवेश सिंह जेल में भी खुद को उसी अनुशासन में बांध कर रखना चाहते हैं. कैदियों के मानसिक तथा शारीरिक विकास के लिए वह प्रतिदिन उन्हें पीटी तथा लॉफ्टर थेरेपी का प्रशिक्षण देते हैं.
"ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हो हमारे करम":
पीटी व लॉफ्टर थेरेपी के बाद कैदी नियमित रूप से भगवान को भी याद करते हैं. सामूहिक प्राथना के लिए कारा प्रशासन द्वारा माइक एवं लाउडस्पीकर की व्यवस्था की गई है, जिसमें कैदी सस्वर "ऐ मालिक तेरे बंदे हम .." का गायन करते हैं, जिसे दूसरे कैदी दोहराते हुए भगवान को याद करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं.
कहते हैं अधिकारी:
जेल में कैदियों के जीवन में नीरसता हावी हो जाती है. ऐसे में इस तरह के प्रयासों से कैदियों के बीच उत्साह का संचार होता है. साथ ही कैदी अनुशासन व आपसी प्रेम व सदाचार सीख कर अपना पूर्ण विकास करते हैं.
सतीश कुमार सिंह,
जेलर,
केंद्रीय कारा
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