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वीडियो: सामने आई रेलवे की बड़ी लापरवाही, ट्रेन में इलाज ना मिलने से जच्चा-बच्चा की मौत ..

रेलवे की लापरवाही का आलम यह रहा कि पति के शव के साथ ही ट्रेन में सफर करता रहा, फिर कोई रेलकर्मी देखने तक नहीं आया. यहां तक जिस टीटीई ने मोटी रकम लेकर बर्थ दिए थे, उसने भी मदद किसी तरह की मदद नहीं की

- दिल्ली से पटना आ रहे थे रेल यात्री. रेल अधिकारियों ने दिया था मदद का भरोसा.

- इलाहाबाद में हुई पत्नी की मौत, शव के साथ सफर करते रहे यात्री.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: भारतीय रेलवे जहां जन सुविधाओं के इजाफे की बात कहता है वहीं कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ जाती है जो इन दावों की पोल खोलती नजर आती है. ऐसी ही एक घटना में को मगध एक्सप्रेस से यात्रा कर रही एक गर्भवती महिला की इलाज के अभाव में मौत हो गई. यही नहीं महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नहीं बचाया जा सका.

इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक महिला अपने पति के साथ दिल्ली से पटना आ रही थी, तभी यह घटना हुई. रेलवे की लापरवाही का आलम यह रहा कि पति के शव के साथ ही ट्रेन में सफर करता रहा, फिर कोई रेलकर्मी देखने तक नहीं आया. यहां तक जिस टीटीई ने मोटी रकम लेकर बर्थ दिए थे, उसने भी मदद किसी तरह की मदद नहीं की. ट्रेन के पटना पहुंचने पर यात्रियों ने हंगामा किया. वहीं डाॅक्‍टरों ने महिला को जांच के बाद मृत घोषित कर दिया. पति के बयान पर पटना जीआरपी में मामला दर्ज किया गया है.

मृतक महिला के पति मो. मोजाहिद ने बताया कि डाउन मगध एक्स्प्रेस के S-6 बोगी में नई दिल्ली से पटना अपनी पत्नी के साथ आ रहे थे. वे मधुबनी जिला के बाबूबरही के मूल निवासी हैं और अपनी 25 वर्षीया पत्नी नसीमा खातून के साथ दिल्ली में रह रहे थे. नसीमा लगभग आठ माह के गर्भ से थीं और वो पीलिया रोग से ग्रसित हो गई थीं.

मोजाहिद ने बताया कि उसे दिल्ली से लेकर अपने गांव मधुबनी जाने के लिए वे लोग मगध एक्सप्रेस से आ रहे थे. अचानक यात्रा के कारण उन्हें बर्थ भी नहीं मिला। ट्रेन में ही बीमार पत्नी का हवाला दिया तो किसी तरह 1500 रुपये लेकर टीटीई ने बर्थ दिए. इलाहाबाद स्टेशन आने के पहले पत्नी की हालत बिगड़ने लगी. पत्नी की बिगड़ती तबीयत को देखते रेलवे द्वारा टोल फ्री 182 पर कॉल कर कंट्रोल को अपनी पत्नी की तबीयत खराब होने की सूचना  दी.

उन्‍होंने बताया कि हेल्पलाइन के अधिकारियों द्वारा मृतका के पति को आश्वासन दिया गया कि इलाहाबाद स्टेशन पर उन्हें मेडिकल इलाज की सुविधा रेलवे की ओर से दी जाएगी, लेकिन इलाहाबाद स्टेशन पर किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिली. इसके बाद उसी ट्रेन में यात्रा कर रहे एक यात्री चिकित्सक ने गर्भवती को मदद करते हुए उसके पेट से बच्चे को निकाला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और ट्रेन जैसे ही इलाहाबाद स्टेशन से आगे निकली उसी दरम्यान जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई, जबकि ट्रेन में यात्रा कर रहे पैसेंजर व मृत गर्भवती महिला के परिजन ने रेलवे प्रशासन के अधिकारियों के पास बार-बार मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन स्थिति यह थी कि कोई गुहार सुनने वाला तैयार नहीं था.

मृत महिला के पति ने बताया कि अधिकारी सिर्फ टालमटोल करते रहे. हैरत की बात यह है कि इलाहाबाद के बाद कई स्टेशनों पर ट्रेन रुकी, लेकिन कोई पूछने तक नहीं आया. बोगी के यात्री शव के साथ ही यात्रा करते रहे. ट्रेन के बक्सर पहुंचने पर कुछ यात्री स्टेशन प्रबंधक के पास जानकारी देने के लिए आये, लेकिन तब तक ट्रेन खुलने लगी और वे लोग फिर बोगी में चले गए. मो.मोजाहिद ने बताया कि मदद की गुहार उन लोगों ने उस टीटीई से भी लगाई, जिसने पैसे लेकर बर्थ दिए थे. उन्होंने भी कुछ करने से साफ मना कर दिया और अगले स्टेशन पर उतर जाने को कहा. 

उधर दानापुर मंडल के सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी संजय कुमार का कहना है कि मामले की जानकारी नहीं है और न ही कोई लिखित शिकायत मिली है. वे इस मामले को अधिकारियों तक पहुंचा रहे हैं और इसकी जांच होगी. हालां‍कि, ट्रेन के पटना पहुंचने पर यात्रियों ने हंगामा किया, तो महिला की जांच करायी गयी, लेकिन डाॅक्‍टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. महिला के पहले से दो बच्चे हैं दूसरी तरफ पटना पहुंचने पर मृतिका के पति के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है.
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