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अमेरिका में बिहार की झलक, स्विमिंग पूल में खड़े होकर देंगे अर्घ्य ..

महापर्व छठ के अवसर पर उन्होंने अपनी जन्मभूमि से हजारों किलोमीटर दूर इस पर्व को मनाने का निर्णय लिया. पेशे से हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.तिवारी ने भी खुशी-खुशी अपनी पत्नी को दिलों को जोड़ने वाले इस त्योहार के परदेश में मनाने की अनुमति दे दी. 
छठ के दौरान जुटी महिलाएं

- अमेरिका में 11 सालों से छठ महापर्व कर रहे बक्सर के डॉक्टर दंपति.
- अमेरीकियों को भी भाता है आस्था का महापर्व, जलार्पण आते हैं पड़ोसी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान बिहार और पूर्वांचल के लोगों की लिए उनकी सांस्कृतिक विरासत है. यहां के लोग चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रह रहें हों, लेकिन इस सांस्कृतिक विरासत को पूरे उत्साह और आस्था के साथ आगे बढ़ा रहे हैं. अमेरिका के उत्तर पूर्व शहर पेनसेन्वेलिया में रह रहे बक्सर के डॉक्टर उन्हीं लोगों में से एक हैं. नावानगर के सोनवर्षा के मूल निवासी डॉ.तारकेश्वर तिवारी अपने पूरे परिवार के साथ हर साल अमेरिका में पूरे उत्साह और उमंग के साथ छठ महापर्व मनाते हैं. इसमें उनके अमेरिकी पड़ोसी और भारतीय भी शामिल होते हैं.

छठ को लेकर इस बार भी वहां तैयारियां शुरू हो गई हैं. सोनवर्षा गांव के निवासी शिवजी तिवारी के पुत्र तथा पेशे से चिकित्सक डॉ. तारकेश्वर तिवारी तथा उनकी पत्नी भारती तिवारी श्रद्धा भाव से सपरिवार इस बार भी छठ मनाने की तैयारी में जुटी हुई हैं. डॉ. तिवारी ने कोलकाता से एमबीबीएस करने के बाद दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री ली जिसके बाद अपोलो हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी और वहीं से ग्यारह साल पहले अमेरिका चले गए. उनके दो बच्चे हैं, जो छठ महापर्व के दौरान पूरी तरह से बिहारी रंग में रमे दिखते हैं.
खरना का प्रसाद बनाती भारती तिवारी


11 वर्षों ने निभा रही हैं परम्परा:

चिकित्सक की पत्नी भारती तिवारी ने फोन पर बताया कि वे लोग करीब 11 वर्ष पूर्व बिहार से यहां पहुंचे थे. लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर उन्होंने अपनी जन्मभूमि से हजारों किलोमीटर दूर इस पर्व को मनाने का निर्णय लिया. पेशे से हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.तिवारी ने भी खुशी-खुशी अपनी पत्नी को दिलों को जोड़ने वाले इस त्योहार के परदेश में मनाने की अनुमति दे दी. जिसके बाद से लगतार छठ के त्यौहार को मनाती रही हैं. उन्होंने बताया कि आस्था के महापर्व के प्रारंभ में खरना का प्रसाद ग्रहण करने के लिए जहां भारतीय मूल के निवासी पहुंचते हैं. वहीं अमेरिकी लोग भी इस चार दिवसीय आयोजन में शामिल होकर हमारी संस्कृति से परिचित होते हैं. वहीं, उनके साथ अन्य लोग भी अब आस्था के महापर्व में शामिल होने लगे हैं. उन्होंने बताया कि, उनके साथ बक्सर नगर के स्टेशन रोड के रहने वाले डॉ. आशुतोष कुमार तिवारी भी इस वर्ष पत्नी कंचन के साथ छठ व्रत कर रहे हैं.
व्रती महिला को अर्घ्य दिलाते डॉ. तारकेश्वर (फ़ाइल) 

स्विमिंग पूल में खड़े होकर देते हैं भगवान भास्कर को अर्घ्य:

छठ के आयोजन के दौरान वे पारंपरिक परिधान पहन कर पूरे रीति-रिवाजों तथा आस्था के साथ स्विमिंग पूल में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं. इस दौरान बिहारी मूल कुछ स्थानीय महिलाएं भी वहां जुटती हैं. जो छठ के गीत गाकर ऐसा माहौल बना देती है, मानो वे अमेरिका में ना होकर बिहार में छठ कर रहे हो. डॉ.तिवारी ने बताया कि पहले जब यहां आए थे तो छठ गीत के लिए बक्सर से सीडी मंगवाना पड़ता था. अब यू-ट्यूब और सोशल मीडिया पर ऐसे गीत भरे पड़े हैं, जो पूर्व के पर्व के दौरान उनके यहां बजते हैं. उन्होंने कहा कि अनुष्ठान के लिए आवश्यक फल और अन्य सामग्रियां यहां भी आसानी से उपलब्ध हैं. उनके शहर में भारतीयों की अच्छी संख्या है और उनमें काफी लोग पूर्वांचल के हैं. ऐसे में छठ व्रत करने में कोई परेशानी नहीं होती है.
छठ के दौरान जुटे लोग

अब अमेरिकियों को भी भा रही है छठ की परंपरा:

भारतीय मूल के लोगों द्वारा छठ पर्व मनाने की परम्परा अब अमेरिकियों को भी भा रही है. उनके शहर में रहने वाले जॉन स्मिथ कहते हैं कि, छठ पूजा के दौरान व्रतियों एवं उनके परिजनों द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठान को देख कर उन्हें भी बिहारी संस्कृति को समझने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि, कभी उन्हें भी बिहार जाकर आस्था के इस महापर्व से रूबरू होने का मौका मिले. कभी ईश्वर ने ऐसा मौका दिया तो वे अपने पूरे परिवार के साथ बिहार में आकर छठ का अनुष्ठान देखेंगे.



















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