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Buxar Top News:वीडियो: वरिष्ठ समाजवादी नेता मिथिलेश कुमार सिंह ने कुलपति को लिखा पत्र सांसद को बताया "कुख्यात कमीशनखोर",एमवी कॉलेज में प्रवेश पर रोक तथा कारवाई का किया अनुरोध !

छात्रसंघ चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद भी महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन करना चुनाव की पवित्रता को अपवित्र करने जैसा है.

देखें वीडियो:

- आचार संहिता लागू होने के बाद किया गया था महाविद्यालय में कंबल वितरण कार्यक्रम
- प्राचार्य तथा अकाउंटेंट के विरुद्ध भी कारवाई का किया अनुरोध.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: लोक चेतना मंच के संयोजक एवं वरिष्ठ समाजवादी नेता मिथिलेश कुमार सिंह ने वीर कुंवर सिंह महाविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर नवीन कुमार के विरुद्ध अनुशासनात्मक कारवाई तथा कॉलेज के अकाउंटेंट चिन्मय प्रकाश झा की संपत्ति की जांच कराने की मांग समेत सांसद के महाविद्यालय परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने की बात कही है. 

उन्होंने कहा है कि छात्रसंघ चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद भी महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन करना चुनाव की पवित्रता को अपवित्र करने जैसा है. इस मामले में  जहां प्राचार्य डॉक्टर नवीन कुमार  के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं, दूसरी तरफ उन्होंने "सांसद के चहेते" की संज्ञा देते हुए अकाउंटेंट चिन्मय प्रकाश झा  की आय व्यय तथा अर्जित संपत्ति की भी जांच की मांग उन्होने कुलपति से की है. अपने पत्र में उन्होंने सांसद को "कुख्यात कमीशनखोर" की संज्ञा दी है.

 मिथिलेश कुमार सिंह  द्वारा इस पत्र की एक कॉपी राज्यपाल तथा महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय के प्राचार्य को भी भेजी गई है.

बताते चलें कि सांसद सह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन कर कंबल वितरण किया गया था. उसी समय से आचार संहिता लागू होने के बाद सांसद के इस कार्यक्रम पर सवाल उठने लगे थे. हालांकि, इसके विरुद्ध कोई भी व्यक्ति अब तक सामने नहीं आया था. माना जा रहा है के सांसद द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किसी एक छात्र संगठन को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया था. वहीं मामले में महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर नवीन कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि सांसद का कार्यक्रम पहले से ही तय था लेकिन बाद में चुनाव की तिथियां तय होने के बाद मामला आचार संहिता से जुड़ गया. 

प्राचार्य चाहे कुछ भी कहे लेकिन यह बात तो सोचने पर मजबूर कर ही देती है, कि आचार संहिता लगने के बाद भी आखिर महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा सांसद को कार्यक्रम करने की अनुमति कैसे दी गई? बहरहाल, अब देखना यह होगा कि मिथिलेश कुमार सिंह द्वारा लिखे गए इस पत्र के बाद महाविद्यालय प्रबंधन एवं सांसद के विरुद्ध क्या कारवाई होती है !














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