Header Ads

Buxar Top News: छः वर्ष बाद पता चला नियोजन है गलत ! सकते में कार्यपालक सहायक, व्यवस्था पर उठ रहे सवाल ..


बक्सर टॉप न्यूज़, इसे केवल संयोग नहीं कहा जा सकता, कहीं न कहीं यह प्रशासनिक चूक का उदहरण है । दरअसल वर्ष 2011 में जिला प्रशासन ने कार्यपालक सहायक के रूप में जिस युवक को संविदा पर बहाल किया अब वर्ष 2017 में पता चल रहा है कि यहां तो कार्यपालक सहायक का पद ही नहीं था। जबकि, इस दौरान युवक को न केवल मानदेय का भुगतान हुआ बल्कि उसका प्रतिनियोजन भी दूसरी जगह पर कर दिया गया। पता चल रहा है कि तत्कालीन जिलाधिकारी रमण कुमार ने जाते-जाते पर उसे हटाने का फरमान जारी कर दिया है और तो और कार्यपालक सहायक का नौ माह से वेतन भी बंद है। ऐसे में युवक परेशान हो गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के सदर प्रखंड के अहिरौली निवासी धनजी प्रसाद का नियोजन कार्यपालक सहायक के रूप में समाहरणालय में हुआ। उस दौरान प्रशासन द्वारा जारी आदेश में लोक सेवा अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु अंचल कार्यालय केसठ एवं समाहरणालय में दो कार्यपालक सहायकों का नियोजन किया गया। उसी के अंतर्गत धनजी प्रसाद का नियोजन भी हुआ। नियोजन के बाद उसे लोक सेवा अधिकार के अंतर्गत डुमरांव अनुमंडल कार्यालय के लिए प्रतिनियुक्त कर दिया गया। वहां से उसे केसठ भेज दिया गया, जहां युवक वर्तमान में कार्यरत है। हालांकि, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि वर्तमान जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा ने युवक के फैसले पर पुन: बैठक करने का निर्देश दिया है।

नौ माह से बंद है युवक का मानदेय

बताया जाता है कि नियोजन के इतने दिनों बाद प्रशासन को पता चला कि समाहरणालय में जिस पद पर युवक का नियोजन हुआ है वह पद वहां है ही नहीं। ऐसे में उसको हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई और उसका मानदेय बंद कर दिया गया। पिछले नौ माह से उसका मानदेय बंद है और वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशान धनजी का कहना है कि फिलहाल वह केसठ आरटीपीएस में कार्यरत है, लेकिन पिछले नौ माह से वेतन की राह देख रहा है।

व्यवस्था पर खड़े हो रहे सवाल

धनजी ने बताया कि वेतन बंद होने के बाद जब उसने इसकी जानकारी लेनी चाही तो पता चला कि उसका नियोजन प्रशासन ने गलती से कर दिया था। इसलिए तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा उसको सेवामुक्त करने की कार्रवाई करने के बारे में लिखा गया है, लेकिन इससे तो व्यवस्था पर ही सवाल खड़े होते हैं। जब पद था ही नहीं तो प्रशासन ने उसका नियोजन किस आधार पर किया। प्रशासन की गलती का खामियाजा आखिर युवक क्यों भुगते?














No comments