Buxar Top News: बैंक कर्मी की मिलीभगत या शातिराना जालसाजी? बैंक से चोरी हुए चेक के द्वारा पुनः बैंक से निकाल ली सवा चार लाख रुपए की राशि ..
बैंक ऑफ बड़ौदा से चार लाख बीस हज़ार रुपए की राशि की फर्जी निकासी का मामला सामने आया है.
- नगर थाना क्षेत्र की घटना.
- योर सेल्फ के जगह चेक पर बना दिया फर्जी नाम और कर ली निकासी.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर,: नगर थाना क्षेत्र के मॉडल थाना के ठीक बगल में स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा से चार लाख बीस हज़ार रुपए की राशि की फर्जी निकासी का मामला सामने आया है.
इस बाबत प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर के बीज व्यवसाई पवन कुमार सिंह ने गत 8 नवंबर को बैंक की शाखा में चार लाख बीस हज़ार रुपए का चेक आरटीजीएस करने के लिए दिया था, जिसे की किसी ने कथित तौर पर बैंक से चोरी कर लिया और अगले दिन लाकर सुबह फर्स्ट आवर में ही रुपयों की निकासी कर ली.
सुलह के नाम पर दो हफ़्तों से नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी:
बताया जा रहा है कि मामले को लेकर बैंक प्रबंधक पीड़ित व्यक्ति से सुलह करने की बात कह रहे थे जिसके चलते उन्होंने अब तक नगर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज नहीं कराई थी. लेकिन जब पीड़ित को यह लगा कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है तो उन्होंने नगर थाने में शुक्रवार को बैंक प्रबंधक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी.
यह है पूरा मामला:
मामले में बैंक के कर्मियों से पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि विगत आठ नवंबर को बैंक के खाताधारी पवन कुमार सिंह ने चार लाख बीस हजार रुपए की धनराशि का चेक आरटीजीएस करने के लिए दिया था लेकिन उसी दिन किसी व्यक्ति ने बैंक से चेक को चुरा लिया तथा अगले ही दिन ओवर राइटिंग कर उस पर एक छद्म नाम गौरव सतपाकर बना दिया. यही नहीं उस व्यक्ति ने उसी नाम से आधार कार्ड भी बनवा लिया, जिसे उसने मांगे जाने पर कर्मियों के समक्ष प्रस्तुत भी किया. इसी आधार पर उसके चेक का भुगतान कर दिया गया, जिसे लेकर वह आसानी से चलता बना.
बैंक की लापरवाही हो रही उजागर, संदेह के घेरे में प्रबंधन:
हालांकि मामले में बैंक प्रबंधन की सफाई कहीं से भी फिट नहीं बैठती. बैंक ने कई ऐसी गलतियां की है जो इस मामले में उसे संदेह के घेरे में खड़ी करती हैं. सर्वप्रथम तो यह सोचने वाली बात है कि बैंक से चेक गायब होने के बावजूद कर्मियों को इस बात का पता कैसे नहीं लगा? दूसरा जहां पचास हज़ार से अधिक की निकासी पर पैन कार्ड तथा एक लाख से अधिक की निकासी पर चेक जारी करने वाले की सहमति बैंक द्वारा ली जाती है, वह क्यों नहीं गई? क्या कारण था कि सुबह बैंक खुलने के साथ ही पहुंचे ग्राहक को तत्काल इतनी बड़ी राशि सिर्फ आधार कार्ड देख कर दे दी गई? बैंक ने पर ओवर राइटिंग कैसे स्वीकार कर ली? इसके अलावा उस चेक जिससे कि फर्जी निकासी हो चुकी है उस पर बैंक ने मुहर भी गलत लगा है ! जहां भुगतान देने के पश्चात चेक पर नगद भुगतान किया का मुहर लगाया जाता है वही लापरवाही का आलम देखिए कि बैंक के कर्मियों ने चेक पर भुगतान प्राप्त किया का मुहर लगाया है. ऐसे में बैंक की भूमिका भी इस मामले में संदेहास्पद प्रतीत हो रही है. ऐसा लग रहा है जैसे बैंक जल्दी-जल्दी में भुगतान कर देने के फिराक में था वहीं यह सोचने वाली बात है कि अटपटे नाम को देखने के बाद भी बैंक ने चेक जारी करने वाले व्यक्ति से बात करना उचित क्यों नहीं समझा और आखिर बिना पैन कार्ड के कैसे इतनी बड़ी राशि को सुबह सुबह ही निकालने की अनुमति दे दी.
क्या कहते हैं एलडीएल: मामले में अग्रणी बैंकों के एलडीएम अमित जैन ने बताया कि इस घटना की जानकारी बैंक द्वारा अभी तक उन्हें नहीं दी गई है मामले की जानकारी होने पर उचित कार्यवाही की जाएगी.
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