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Buxar Top News: सोलर घोटाले का सच: मिला नहीं पैसा तो घोटाला कैसा?



यह भी सवाल उठाया कि ब्रेडा अगर 1 लाख 22 हज़ार  रुपए में सोलर सेमी हाई मास्ट लाइट लगाती है तो 2015 में पड़ोस के जिले औरंगाबाद में ब्रेडा ने ही 2 लाख 95 हज़ार रुपए में सोलर सेमी हाई मास्ट लाइट का अधिष्ठापन कैसे करवाया है?
प्रतीकात्मक तस्वीर

-  हवा-हवाई अफवाहों को लेकर संगठन लगा रहे हैं घोटाले का आरोप.
- ऊर्जा मंत्रालय ने नहीं निर्धारित की है कीमतें.दूसरी कंपनी द्वारा औरंगाबाद में लगभग तीन लाख में लगाई गई है सोलर लाइट.
- खुली निविदा के द्वारा किया गया था कंपनी का चयन, भुगतान को लेकर उच्च न्यायालय में विचाराधीन है मामला.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सांसद निधि घोटाले का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है. विभिन्न संगठन अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया देकर सेमी सोलर हाई मास्ट लाइट के लगाए जाने के दौरान भारी वित्तीय अनियमितता की बात कर रहे हैं. हालांकि, इस बात को लेकर कोई भी प्रामाणिक तथ्य अभी तक कोई संगठन नहीं दे पाया है. मतलब सिर्फ हवा-हवाई अफवाहों के साथ घोटाले की बात बताई जा रही है. इतना ही नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत की मिलीभगत के आरोप भी लगाए जा रहे हैं. 

इन सभी विषयों पर हमने सोलर लाइट के अधिष्ठापन में कार्यरत एजेंसी मेसर्स अजय प्रकाश के प्रोप्राइटर अखौरी अजय प्रकाश का पक्ष जाना तो कुछ और ही सच्चाई सामने आई उन्होंने बताया कि दरअसल जिस सेमी सोलर लाइट के कीमतों में भारी अंतर बताया जा रहा है. उसकी कीमतें केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय को भी नहीं मालूम. यह बात मंत्रालय के द्वारा एक पत्र के जवाब में स्वीकार की गयी है. 

उन्होंने बताया कि सांसद विधायक अथवा किसी जनप्रतिनिधि की निधि से चयनित योजना जब 15 लाख से ऊपर की हो जाती है तो उसके लिए  खुली निविदा आमंत्रित की जाती है, जिसमें कोई भी पात्र एजेंसी शामिल हो सकती है. उन्होंने बताया कि  सेमी सोलर हाईमास्ट लाइट लगाए जाने के लिए भी सभी प्रमुख अखबारों में निविदा निकाली गई थी. जिसके बाद बजाज, फिलिप्स, मिंडा जैसी बड़ी कंपनियों के साथ उन्होंने भी अपना आवेदन दिया था. सबसे कम मूल्य उनकी एजेंसी मेसर्स अजय प्रकाश ने दिया था. ऐसे मेंइस लिए सबसे कम मूल्य वाली कंपनी के तौर पर मेसर्स अजय प्रकाश को यह टेंडर मिला. वहीं लगभग एक साल होने के बाद भी संवेदक को राशि का  का भी भुगतान विभाग की तरफ से नहीं हुआ है ऐसे में किस राशि का घोटाला हुआ यह जांच का विषय है.


पूर्व विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ता होने के कारण हैं मंत्री पुत्र से नजदीकियां: 

उन्होंने कहा कि उनका पुत्र अमित विद्यार्थी परिषद का कार्य करता रहा है.  ऐसे में अर्जित शाश्वत के साथ उसकी तस्वीरों का आना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि क्या किसी का नजदीकी होने के कारण कोई व्यक्ति कार्य नहीं कर सकता है. 


ब्रेडा तथा ऊर्जा मंत्रालय को नहीं मालूम हैं सेमी सोलर हाई मास्ट लाईट की कीमत:

उन्होंने बताया कि ब्रेडा ने पत्रांक संख्या 1170 दिनांक 21.10 2016 को कार्यपालक अभियंता स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन को स्पष्ट कर दिया है कि मांगी गई सोलर सेमी हाई मास्ट का दर उसके पास उपलब्ध नहीं है. ब्रेडा एमएनआरई ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार का अनुसरण करती है. अधिष्ठापित सोलर हाई मास्ट लाइट में तकनीकी विशिष्टियां का बहुत ही ज्यादा अंतर है बैटरी लाइट पोल सोलर प्लेट का क्षमता कई गुना अधिक है तथा सारे सामान हैवेल्स कंपनी के अधिष्ठापित किए गए हैं. दूसरी तरफ एमएनआरई ने सिर्फ स्ट्रीट लाइट का मूल्य निर्धारण किया है जबकि स्ट्रीट लाइट एवं सोलर सेमी हाई मास्ट लाइट में काफी फर्क है दोनों लाइटों की तकनीक की विशेषताएं में काफी भिन्नता है.
देखें पत्र की कॉपी:



तीन वर्ष पूर्व औरंगाबाद में दूसरी एजेंसी ने लिया है 2 लाख 95 हज़ार प्रति सेमी हाई मास्ट लाईट का भुगतान: 

भारत सरकार ऊर्जा विभाग की एजेंसी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड जब सोलर स्ट्रीट लाइट 40 वाट सोलर पैनल 7 वाट LED लाइट के साथ 19099/- में लगा रही है इस प्रकार उसका दर 478 रुपए  प्रतिवाट होता है. ऐसे में सोलर सेमी हाई मास्ट का दर 200 प्रति वाट कैसे किया जा सकता है?उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि ब्रेडा अगर 1 लाख 22 हज़ार  रुपए में सोलर सेमी हाई मास्ट लाइट लगाती है तो 2015 में पड़ोस के जिले औरंगाबाद में ब्रेडा ने ही 2 लाख 95 हज़ार रुपए में 16 सेमी हाई मास्ट लाइट का अधिष्ठापन कैसे करवाया है?
देखें पत्र की कॉपी:



मेसर्स अजय प्रकाश ने पहली बार बक्सर में लिया है काम, भुगतान को लेकर खटखटाया है न्यायालय का दरवाजा: 

उन्होंने कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं कि कंपनी पहले से दागी रही है उनको यह जानकारी होनी चाहिए कि मेसर्स अजय प्रकाश का यह पहला कार्य है. जबकि काम खत्म होने के बाद भुगतान के लिए उन्होंने पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग मामले को अपने निजी फायदे के लिए राजनीतिक रुप देना चाहते हैं शायद उन्हें बक्सर का विकास पसंद नहीं है. लेकिन, जो भी हो इस तरह की राजनीति बेहद ही शर्मनाक है.

















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