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Buxar Top News जेल में गांजे की दुकान चलाता था कक्षपाल, रोटी के अंदर छिपा कर ले जाने की हो रही थी कोशिश ..




File image

- बीएमपी के जवानों ने चेकिंग के दौरान रंगे हाथ पकड़ा
- रोटी के अंदर छुपा कर रखी थी गांजे की पुड़िया.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: वर्तमान परिस्थितियों ने यह साबित कर दिया है के केंद्रीय कारा में जमकर आपत्तिजनक सब मानव की सपना की जा रही है इस कार्य में कारण प्रशासन के अपने लोग ही शामिल मामले का खुलासा तब हुआ जब केंद्रीय कारा में बतौर कक्षपाल कार्यरत पूर्व सैनिक जनार्दन सिंह, पिता-हीरालाल सिंह के पास बीएमपी के जवानों द्वारा केंद्रीय कारा के गेट पर तलाशी के दौरान रोटी के अंदर छुपा कर रखें चार पुड़िया गांजा(44 ग्राम लगभग) बरामद किया गया.


रोटी के बीच में छिपाकर रखी थी गांजे की पुड़िया:

मामले में काराधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि जेल के अंदर कार्य करने वाले कर्मी अपने लिए बाहर से कुछ नाश्ता वगैरह भी लेकर जाया करते हैं। हालांकि उनकी नियमित जांच करने के बाद हुए हैं कारा में प्रवेश करने दिया जाता है। इसी क्रम में गुरुवार को कक्षपाल जनार्दन सिंह (जो कि पूर्व सैनिक भी हैं) कारा में प्रवेश करने की कोशिश में थे इसी दौरान बीएमपी के जवानों ने उनकी तलाशी लेनी शुरू की तलाशी के दौरान जब उनके भोजन के डिब्बे को खोला गया तो रोटी बीच में छिपाकर रखी गई गाँजे की चार पुड़िया बरामद की गई।

जेल में चलाता था गांजे की दुकान:

सूत्र बताते हैं कि जनार्दन सिंह बहुत दिनों से जेल में गांजा तथा आपत्तिजनक सामानों को पहुंचाया करता था. मामूली  लाभ के लिए वह गांजे की चलती फिरती दुकान बन गया था. वह प्रतिदिन मोजे, जूते तथा भोजन  के  अंदर  गांजे को छिपा कर अंदर प्रवेश कर जाता थासूत्रों से प्राप्त इस जानकारी की पुष्टि तब हो गयी जब पिछले दिनों जेल के औचक निरीक्षण के दौरान गांजे के साथ-साथ अन्य आपत्तिजनक सामान भी बरामद किए गए थे.


चंद पैसों के लिए दांव पर है सुरक्षा, जेल के अंदर मौजूद है सब कुछ:

सूत्र यह भी बताते हैं कि जेल के अंदर मोबाइल फोन, शराब तथा हर वह चीज आसानी से पहुंच जाती है जो बाहर मौजूद है। जेल की सुरक्षा तथा सफाई में लगे कर्मी तक महज कुछ पैसों के लिए जेल की सुरक्षा को दांव पर रख देते हैं.जिसका नतीजा निरीक्षण होने के बावजूद जेल में  यह है बैठे-बैठे कैदी सोशल साइट्स पर भी एक्टिव दिखते हैं। तथा जेल के अंदर की तस्वीरें सोशल साइट्स पर अपलोड करते हैं।

500 से 2000 है मोबाइल फ़ोन पहुंचाने का शुल्क  200 से 500 रुपए में मिलती है गांजे की पुड़िया: विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जेल में हर चीज पहुंचाने का अलग-अलग शुल्क निर्धारित है. छोटा मोबाइल फोन पहुंचाने के लिए जहां 500 रुपए लिए जाते हैं वही 1500 सौ रुपए से 2000 में स्मार्टफोन पहुंचाने का शुल्क लिया जाता है.


नगर थाने में दर्ज कराई गई है प्राथमिकी उच्चाधिकारियों से भी की गई है शिकायत:

मामले को लेकर जेल प्रशासन सख्त है। काराधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि मामले को लेकर उच्चाधिकारियों को लिखा गया है तथा नगर थाने में कक्षपाल के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है.

इस बाबत प्रभारी थानाध्यक्ष राजू कुमार ने बताया कि मामला दर्ज करने के साथ ही आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.


















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