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Buxar Top News: सुरक्षा के दावों के बीच अभी भी असुरक्षित है न्यायालय परिसर।



अनुमंडल पदाधिकारी ने न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाली महिलाओं के के सहारे किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्रियों के न्यायालय में पहुंचाए जाने तथा सुरक्षा में चूक कि किसी भी आशंका के मद्देनजर महिला पुलिस बलों की संख्या बढ़ाए जाने की भी आवश्यकता जताई थी
न्यायालय की सुरक्षा का जायजा लेते अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी

- प्रवेश द्वारों पर सघन जांच की जताई जा रही आवश्यकता.
- अनावश्यक रुप से वाहनों के प्रवेश से मुक्त बनाए जाने की भी जताई जा रही जरूरत.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सीतामढ़ी न्यायालय में पेशी के दौरान गोलियों के शिकार हुए गैंगस्टर संतोष झा की मौत के बाद राज्य भर में न्यायालयों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इसी क्रम में बक्सर में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सतीश कुमार ने बुधवार को व्यवहार न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. उन्होंने न्यायालय के मुख्य द्वार पर तैनात सुरक्षा प्रहरियों को आवश्यक निर्देश दिए. इस जांच के दौरान उन्होंने परिसर में आने जाने वाले सभी लोगों की जांच करने के बाद ही उन्हें न्यायालय परिसर में प्रवेश करने का निर्देश दिया जिससे कि न्यायालय परिसर के अंदर आग्नेयास्त्र तथा अन्य आपत्तिजनक सामान लेकर कोई भी व्यक्ति प्रवेश न कर सके. अनुमंडल पदाधिकारी ने न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाली महिलाओं के के सहारे किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्रियों के न्यायालय में पहुंचाए जाने तथा सुरक्षा में चूक कि किसी भी आशंका के मद्देनजर महिला पुलिस बलों की संख्या बढ़ाए जाने की भी आवश्यकता जताई थी. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी से प्राप्त निर्देशों के बाद क्या न्यायालय परिसर की सुरक्षा बढ़ाई गई अथवा विधि व्यवस्था पूर्व की भांति ही चल रही है?

प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति द्वारा सुरक्षा जांच में नहीं किया जाता सहयोग: 

यह जानने के लिए हम न्यायालय परिसर में पहुँचे जहां हमने सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म निरीक्षण करते हुए यह पाया गया कि सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाए जाने के दावों के बाद भी न्यायालय परिसर अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. मुख्य गेट पर तैनात सैप के जवानों तथा पुलिस बलों द्वारा पूर्व  की भांति ही गुरुवार को भी हर आने जाने वाले व्यक्ति पर सुरक्षा प्रहरियों द्वारा कड़ी नजर रखी जा रही थी. न्यायिक कार्यों  से ताल्लुक रखने वाले लोगों के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति की  दो पहिया अथवा चार पहिया वाहन को न्यायालय परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा था. हालांकि, सुरक्षा बलों की कमी गुरुवार को भी खली. न्यायिक सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों उस वक्त गहरा धक्का लगता है जब न्यायालय की सुरक्षा के प्रति दायित्व के निर्वहन में भी अड़चने खड़ी की जाती है न्यायालय के मुख्य द्वार पर  होने वाली सुरक्षा जांच के दौरान कई लोग खुद को असहज पाते हैं जिसके कारण सुरक्षाकर्मी उन्हें थोड़ी बहुत ढील दे देते हैं. सूत्र बताते हैं कि यही थोड़ी-बहुत ढील बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बनती है. कहा जाता है कि किस वेश में कौन आ जाए यह नहीं समझा जा सकता. ऐसे में यह भी संभव है कि किसी भद्रजन के वेश में कोई असामाजिक तत्व भी न्यायालय परिसर में प्रवेश कर सुरक्षा में सेंध लगा सकता है. इसलिए यह आवश्यक है कि चाहे कोई भी व्यक्ति हो हर व्यक्ति की बेहतर तरीके से जांच के बाद ही उसे न्यायालय में प्रवेश करने दिया जाए.


मेटल डिटेक्टर से हो हर आने-जाने वाले व्यक्ति तथा सामानों की जांच:

अधिवक्ता उमेश कुमार बताते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह आवश्यक है कि मुख्य द्वार तथा पीछे के द्वार से प्रवेश के दौरान ही बेहतर ढंग से लोगों की जांच हो. उन्होंने बताया कि सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को मेटल डिटेक्टर दिए जाने की आवश्यकता है. जिससे कि वह हर प्रवेश करने वाले व्यक्ति के समानों तथा उसके शरीर की जांच कर यह पता लगा सके कि उसके द्वारा किसी भी आपत्तिजनक सामान अथवा हथियार को लेकर तो प्रवेश नहीं किया जा रहा है.


अनावश्यक रुप से वाहनों का प्रवेश निषेध, सामने खाली पड़ी जमीन में बनाया जाए स्टैंड


अधिवक्ता रामनारायण का कहना है कि न्यायालय परिसर में न्यायिक व्यवस्था से जुड़े अधिवक्ताओं कर्मियों तथा अन्य व्यक्तियों के द्वारा लाए जाने वाले वाहनों में भी सुरक्षा में सेंध लगाने वाली वस्तुएं भी सकती है ऐसे में व्यवहार न्यायालय के सामने खाली पड़ी सरकारी जमीन में भी अस्थाई तौर पर ऑटो स्टैंड बनाया जा सकता है, जहां पर अधिवक्ताओं तथा कर्मियों को नि:शुल्क तथा अन्य लोगों के वाहन सशुल्क लगाए जा सके. इससे भी सुरक्षा व्यवस्था बेहतर बनाया जा सकता है.

बने हुए हैं चेक पोस्ट नहीं तैनात है संतरी:

व्यवहार न्यायालय के परिसर के चप्पे-चप्पे पर तीसरी आंख कहे जाने वाली सीसीटीवी कैमरों की  स्थापना की गई है. वहीं दूसरी तरफ मुख्य द्वार के दोनों तरफ ऊंचाई पर चेक पोस्ट बनाए गए हैं जिससे कि दूर से ही आने जाने वाले हर व्यक्ति की गतिविधि पर नजर रखी जा सके. हालांकि, इस पोस्ट में कभी भी कोई सुरक्षाकर्मी नहीं देखा जाता. अधिवक्ता दया सागर पांडेय का मानना है कि सुरक्षा व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए न्यायालय अवधि में दोनों पोस्टों में सुरक्षाकर्मियों का रहना नितांत आवश्यक है.


















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