Header Ads

49वां सिय-पिय मिलन महोत्सव: नरसिंह अवतार को देख अभिभूत हुए श्रद्धालु ..

भगवान विष्णु की प्रार्थना करते हुए सप्त ऋषि कहते हैं कि भगवान विष्णु फूलों से भी कोमल हैं तथा वज्र से भी कठोर हैं. यह सुनते ही माता लक्ष्मी के मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि ऋषियों का कथन सत्य कैसे हो सकता है?

- रामलीला के दौरान आयोजित हुआ हिरण्यकश्यप संहार प्रसंग
- जय-विजय को मिला 3 जन्मों का श्राप.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: महर्षि खाकी बाबा सरकार की स्मृति में आयोजित 49वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के दूसरे दिन रात्रि की श्री रामलीला में जय-विजय प्रसंग का लीला का आयोजन राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त फतेह कृष्ण जी महाराज की प्रसिद्ध रासलीला मंडली तथा आश्रम के परिकरों तथा स्थानीय कलाकारों के द्वारा किया गया.

इस दौरान दिखाया गया कि भगवान विष्णु शेषशैया पर सोए हुए हैं. श्री लक्ष्मी जी अपने कोमल हाथों से उनके कमल के समान पांव को दबा रही हैं. इसी क्रम में सप्त ऋषियों की टोली भगवान के सम्मुख पहुंचती है. भगवान विष्णु की प्रार्थना करते हुए सप्त ऋषि कहते हैं कि भगवान विष्णु फूलों से भी कोमल हैं तथा वज्र से भी कठोर हैं. यह सुनते ही माता लक्ष्मी के मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि ऋषियों का कथन सत्य कैसे हो सकता है? भगवान कमल के समान कोमल तो हैं लेकिन वज्र के समान कठोर कैसे हो सकते हैं? माता लक्ष्मी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए भगवान विष्णु अपने पार्षदों जय-विजय से कहते हैं कि तुम दोनों मुझ पर वज्र का प्रहार करो, लेकिन जय-विजय अपने स्वामी के ऊपर बज्र का प्रहार करने से इनकार कर देते हैं. इस पर भगवान विष्णु कहते हैं कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि तुम लोग मुझ पर वज्र से प्रहार करोगे.

दूसरे दृश्य में दिखाया जाता है कि सनकादिक ऋषि तपस्या में बैठे हैं, वह क्षीर सागर जाकर भगवान के दर्शन करने की बात सोचते हैं. जिसके बाद वह क्षीर सागर पहुंच जाते हैं. वहां पर जय-विजय नामक दोनों पार्षद द्वार पर ही महर्षि को अंदर प्रवेश करने से रोक देते हैं. वह कहते हैं कि हम ऐसे-वैसे किसी भी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं करने दे सकते. इतना सुनते हैं महर्षि क्रोधित हो जाते हैं तथा दोनों पार्षदों को राक्षस बनने का श्राप दे देते हैं. साथ ही यह भी कहते हैं कि यह श्राप श्राप तीन जन्मों तक रहेगा. एक जन्म में तुम लोग रावण एवं कुंभकरण बनकर जन्म लोगे। जिसका संहार श्री रामावतार के द्वारा किया जाएगा. दूसरे जन्म में हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकश्यप के रूप में तुम जन्म लोगे जिसका संहार भगवान के वाराह अवतार तथा नरसिंह अवतार के द्वारा होगा. तीसरे जन्म में दंतवक्र तथा शिशुपाल बनोगे इसमें भी तुम्हारा संहार भगवन के द्वारा ही किया जाएगा.
























No comments