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खास-महाल की जमीन बन रही शहरी परिवारों को आवास योजना का लाभ दिलाने में रोड़ा ..

लाभार्थी परिवार को दो लाख रुपये की राशि चार किस्तों में मकान निर्माण के लिए दी जाती है,, जिसमें नींव की खुदाई करने सर्वप्रथम 50 हज़ार रुपये, आगे के काम के लिए 1 लाख तथा उसके बाद 20 एवं 30 हज़ार रुपये की किस्तों का भुगतान लाभार्थी को किया जाता है

- नगर में खासमहाल की हैं ज्यादातर जमीनें.

- नागरिकों का आरोप, आवेदन दिए जाने तथा कार्य पूरा कराए जाने के बावजूद नहीं मिल रहा योजना का लाभ.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: शहरों को झुग्गी झोपड़ियों से मुक्त कराते हुए प्रत्येक शहरी परिवार के पास जल कनेक्शन, शौचालय सुविधाओं, 24x7 विद्युत आपूर्ति की सुविधाओं के साथ पक्का आवास प्रदान करने की परिकल्पना के साथ शुरु की गयी प्रधानमंत्री आवास योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर सकी है. नगर में कई लोगों का कहना है कि उनके द्वारा आवेदन दिए जाने के पश्चात नगर परिषद से राशि मिलने के इंतजार में मकान तक बना लिए गए हैं. लेकिन उन्हें भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है. हालांकि, नगर परिषद का कहना है कि जो वास्तविक लाभुक है उन्हें योजना का लाभ मिल रहा है.

शहरी आवास योजना में ऐसे लोगों को मकान बनाने के लिए सहायता की जाती है, जिनके पास अपनी 30 वर्गफुट जमीन जमीन तो होती है, लेकिन मकान बनाने के लिए पैसे नहीं होते. लाभार्थी परिवार में पति, पत्नी, अविवाहित पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री शामिल होंगे. लाभार्थी परिवार का भारत के किसी भाग में अपने नाम पर अथवा उसके परिवार के किसी भी सदस्य के नाम पर अपना घर नहीं होना चाहिए. साथ ही उनकी वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम होनी चाहिए. लाभार्थी परिवार को दो लाख रुपये की राशि चार किस्तों में मकान निर्माण के लिए दी जाती है,, जिसमें नींव की खुदाई करने सर्वप्रथम 50 हज़ार रुपये, आगे के काम के लिए 1 लाख तथा उसके बाद 20 एवं 30 हज़ार रुपये की किस्तों का भुगतान लाभार्थी को किया जाता है. यह राशि आरटीजीएस के माध्यम से विभाग द्वारा सीधे लाभुक के खाते में भेजी जाती है. इस योजना के लाभार्थियों का चयन 2011 की जनगणना के अनुसार किया जाता है.

खास-महाल की जमीन बन रही भुगतान में रोड़ा, विभाग से माँगा मार्गदर्शन:

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी रोहित कुमार के मुताबिक जिस भूमि पर मकान बनाया जाना है वह आवेदनकर्ता का निजी स्वामित्व की जमीन होनी चाहिए. पैतृक संपत्ति होने की सूरत में आवेदनकर्ता को जमीन के खतियान के साथ वंशावली भी देनी होती है. उन्होंने बताया कि परिषद क्षेत्र में रहने वाले 111 लोगों का चयन प्रथम सूची में किया गया था. हालांकि, इनमें से 71 लोगों के आवेदन इसलिए निरस्त कर दिए गए क्योंकि इनके पास जो जमीन थी वह खासमहाल(बिहार सरकार) क्षेत्र में आती थी. ऐसी जमीन पर आवेदन कर्ता का स्वामित्व नहीं होने के कारण उसे इस योजना का पात्र नहीं माना जा सकता है. वहीं दूसरे चरण की सूची में 58 लोगों का चयन तथा तीसरी सूची में 44 लोगों का चयन इस योजना के लाभार्थी के रूप में किया गया है, जिनको राशि का किस्तों में भुगतान किया जा रहा है. हालांकि, जियो टैगिंग तथा अन्य कार्यों में विलंब के कारण तीसरी सूची के कुछ लोगों का भुगतान नहीं हो सका है. वहीं खास-महाल की जमीन में घर बना कर वर्षों से रहे लोगों को इस योजना का लाभ दिलाने के लिए विभाग से मार्गदर्शन माँगा गया है.















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