धारा 370 पर बोले सदर विधायक, देश हित में फैसला, स्वागत ..
केंद्रीय नेतृत्व को बधाई देते हुए कहा है कि यह फैसला देश हित में है. जिसका स्वागत होना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि इस फैसले से रोजगार व तरक्की के मार्ग खुलेंगे. विधायक के अतिरिक्त विभिन्न समाजसेवी तथा प्रबुद्ध जनों ने भी इस फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया है.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: धारा 370 हटाए जाने की सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ हैं देशभर में विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई. बक्सर से कांग्रेस के सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी में इस फैसले पर केंद्रीय नेतृत्व को बधाई देते हुए कहा है कि यह फैसला देश हित में है. जिसका स्वागत होना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि इस फैसले से रोजगार व तरक्की के मार्ग खुलेंगे. विधायक के अतिरिक्त विभिन्न समाजसेवी तथा प्रबुद्ध जनों ने भी इस फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया है.
बता दे कि, सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के लिए ऐतिहासिक बदलाव की पेशकश करते हुए यहां से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश की इसके अनुसार जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया तथा लद्दाख भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा गृह मंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 3 के अंतर्गत जिस दिन से राष्ट्रपति द्वारा सरकारी गजट को स्वीकार कर लिया जाएगा उसे एक भी लागू नहीं होंगे इसमें सिर्फ एक रहेगा इस बदलाव को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी मिल गई है अमित शाह ने जैसे ही इस बात का ऐलान किया राज्यसभा में हंगामा मच गया धारा 144 लागू कर दी गई है और अधिकारियों को दिए गए हैं इसके पूर्व वहां 35000 अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती पहले ही की जा चुकी है वहीं अमरनाथ यात्रा को भी बीच में ही रद्द कर दिया गया था.
क्या है धारा 370 के मायने:
विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है
अब सवाल यह उठता है कि आखिर धारा 370 है क्या और इसके हटाने के क्या मायने है? धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं:
- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
- इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
- जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.
- इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते.
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
- भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी जैसे कानून लागू नहीं होते हैं.
- कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
- कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
- धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.
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