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न्यायालय परिसर में बच्चों को स्वप्नलोक का एहसास कराएगा छोटा भीम ..

इसके लिए जिला किशोर न्यायालय की दीवारों पर छोटा भीम, शक्तिमान, मिकी माउस और मोटू-पतलू आदि कार्टून कैरेक्टर उकेरे जा रहे हैं. इसका उद्देश्य है कि जाने-अनजाने अपराध में फंसने वाले 18 साल तक के बच्चों को न्यायालय में पेशी के दौरान स्वप्नलोक जैसा माहौल प्रदान किया जा सके.
न्यायालय के दीवारों पर बनाए गए चित्र

- बाल कैदियों के कोर्ट की दीवारों पर गढ़े गए कार्टून चरित्र.
- हाई कोर्ट के निर्देश पर तैयार हो रहा चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : किशोरों में भटकाव के कारण आपराधिक मामलों में उनकी संलिप्तता बढ़ रही है. एक बार गलती से किसी अपराध में फंसने के बाद आम पेशेवर अपराधियों की तरह उनके साथ बर्ताव होने से वे इस
अपनी बनाई कलाकृति के साथ कलाकार
दलदल में और फंसते चले जाते हैं. हाइकोर्ट ने इसमें सुधार की पहल की है और किशोर न्यायालय को चाइल्ड-फ्रेंडली बनाने के निर्देश दिए हैं. अब कोर्ट में किशोरों की पेशी उनके चहेते कार्टून चरित्रों के बीच की जाएगी.

इसके लिए जिला किशोर न्यायालय की दीवारों पर छोटा भीम, शक्तिमान, मिकी माउस और मोटू-पतलू आदि कार्टून कैरेक्टर उकेरे जा रहे हैं. इसका उद्देश्य है कि जाने-अनजाने अपराध में फंसने वाले 18 साल तक के बच्चों को न्यायालय में पेशी के दौरान स्वप्नलोक जैसा माहौल प्रदान किया जा सके. न्यायालय में इस प्रकार का कोर्ट बनाया जा रहा है,  कि बच्चों को वहां न्यायालय का एहसास न हो. बल्कि, ऐसा लगे जैसे वह अपनी ही दुनिया में आ गए हों. ऐसा कर उनके कोमल मन मस्तिष्क पर पड़ने वाले कुप्रभाव को कम किया जा सकता है.

वॉल पेंटिंग के साथ-साथ रंग-बिरंगे फर्नीचर तथा खिलौने भी:

सामाजिक सुरक्षा विभाग तथा बाल संरक्षण इकाई के अनुसार सरकार द्वारा न्यायालय परिसर को सुसज्जित करने के लिए कार्टून कैरेक्टर वाले वॉल पेंटिंग के अलावे और भी इंतजाम किए गए हैं. कोर्ट के पेशी कक्ष में रंग बिरंगे फर्निचर भी नजर आएंगे. इसके साथ ही किताबें तथा खिलौने भी रखे जायेंगे, जिससे कि बच्चे अपना मनोरंजन भी कर सकें. साथ ही साथ बच्चों को सुरक्षा देने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे. ताकि, कोई उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सके. साथ ही उनके साथ होने वाले बर्ताव पर भी नजर रखी जाएगी. इसके लिए सरकार द्वारा सभी जिलों को 20-20 लाख रुपये की राशि आवंटित की गयी है.

अपराध बोध से बचेंगे बच्चे:

किशोर न्याय परिषद के पूर्व सदस्य डॉ.शशांक शेखर कहते हैं कि न्यायालय में आने के बाद बच्चों के मन में अपराध बोध आ जाता है. जिससे कि वह डरे सहमे रहते हैं. ऐसे में न्यायालय के इस नए स्वरूप से यह कोशिश की जा रही है कि बच्चों के मन मस्तिष्क पर कोई कुप्रभाव न पड़े. बताया जा रहा है कि, अगले महीने के अंतिम सप्ताह तक किशोर न्यायालय पूरी तरह से नए रूप के दिखने लगेगा.

हाइकोर्ट के निर्देश पर व्यवहार में चाइल्ड कोर्ट का निर्माण कराया जा रहा है. इससे बाल मन पर गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा और उन्हें सुधरने का मौका मिलेगा.
हरिशंकर कुमार, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा एवं बाल संरक्षण इकाई, बक्सर.








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