पंचकोशी यात्रा: भार्गव ऋषि के आश्रम पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था ..
सरोवर में जलकुंभी लगे होने के कारण लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा. पूजा करने के बाद सरोवर के नजदीक श्रद्धालुओं ने अपना आसान जमाया. जहां उनके लिए पहले से ही पंचकोसी परिक्रमा समिति द्वारा टेंट वगैरह की व्यवस्था की गयी थी.
- परिक्रमा के पड़ावों पर उमड़ रहा आस्था का जनसैलाब
- श्रद्धालुओं ने लगाया चूड़ा-दही का भोग.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पंचकोशी परिक्रमा के दौरान बक्सर में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. परिक्रमा के तीसरे दिन मंगलवार की सुबह श्रद्धालु तीसरे स्थल भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर के लिए निकल पड़े़. भगवान राम अपनी यात्रा के तीसरे दिन भभुअर स्थित भार्गव ऋषि के आश्रम पहुंचे थे़. यहां भार्गव ऋषि ने भगवान राम को चूड़ा-दही खिलाया था़. उसी मान्यता के अनुसार श्रद्धालुओं ने पूजा व परिक्रमा करने के बाद चूड़ा-दही का प्रसाद ग्रहण किया.
सबसे अधिक दूरी पर है यह पड़ाव:
भभुअर सदर प्रखंड के दक्षिणी भाग में जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो पंचकोसी परिक्रमा के सबसे ज्यादा दूरी पर स्थित है़. भभुवर पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं ने वहां स्थित सरोवर में स्नान करने के बाद भार्गव ऋषि द्वारा स्थापित भगवान शिव की पूजा-अर्चना की. हालांकि, सरोवर में जलकुंभी लगे होने के कारण लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा. पूजा करने के बाद सरोवर के नजदीक श्रद्धालुओं ने अपना आसान जमाया. जहां उनके लिए पहले से ही पंचकोसी परिक्रमा समिति द्वारा टेंट वगैरह की व्यवस्था की गयी थी.
साधु-संतों ने भी की परिक्रमा :
पंचकोसी परिक्रमा में मठों के महंत भी शामिल हुए़ व्याघ्रसर पंचकोसी परिक्रमा समिति के सदस्यों तथा अन्य गणमान्य लोगों द्वारा पंचकोसी परिक्रमा की गयी. साथ ही स्थानीय लोगों के द्वारा परिक्रमा में शामिल होनेवाले श्रद्वालुओं को हर संभव सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है, जिससे कि इसकी महता आगे और बढ़े तथा प्राचीन संस्कृति आगे भी संरक्षित रहे़.
यात्रा में मेले सा माहौल था कायम:
पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे पड़ाव की दूरी अन्य चार स्थलों के अपेक्षा ज्यादा है़. भभुअर ग्रामीण इलाकों के बीच होने के कारण पूजा के साथ ही लोग मेले का आनंद उठाने के लिए भी भारी संख्या में पहुंचे़. दोपहर बाद आसपास के गांवों के लोग टूट पड़े थे़. जिन्होंने भार्गव आश्रम में स्थित शिव मंदिर में पूजा-अर्चन कीर मेले का लुत्फ उठाया.
मेले में खानपान के सामान, बच्चों के खिलौने व श्रृंगार के सामान वाली दुकानों पर ज्यादा भीड़ थी.
सरोवर के पास श्रद्वालुओं का रहता है निवास:
प्राचीनकाल से परिक्रमा करनेवाले श्रद्धालुओं का निवास सरोवर के पास रहता है़ जहां श्रद्वालुओं के ठहरने व सोने बैठने की व्यवस्था की जाती है़. इस दौरान परिक्रमा समिति द्वारा कथा व प्रवचन के माध्यम से श्रद्धालुओं को भक्ति का रसपान कराया गया.
भभुअर में परिक्रमा का है महत्व:
पंचकोसी परिक्रमा से मन में
शांति, सुख व घर में समृद्धि की प्राप्ति होती है. परिक्रमा के शुरू होने से पहले संतों के मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया़. इसी महत्व के तहत संतों के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने भार्गव सरोवर की परिक्रमा की और भार्गव ऋषि द्वारा स्थापित भगवान शिव की पूजा-अर्चन भी की. परिक्रमा में आगे से संत समाज उनके पीछे से हजारों की संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु चल रहे थे. परिक्रमा समिति द्वारा भी श्रद्धालुओं के लिए चूड़ा दही व गुड़ प्रसाद रूप में खिलाया गया.
लक्ष्मण जी के बाण से बना था सरोवर:
कहा जाता है कि, भार्गव ऋषि के आश्रम पर जब भगवान राम पहुंचे, तो वहां पानी की कमी की जानकारी राम को मिली़ मुनिवर के पानी की कमी को पूरा करने के लिए लक्ष्मण ने एक तीर के प्रहार से एक विशाल सरोवर का निर्माण कर डाला़ इसलिए इस सरोवर में स्नान का अलग महत्व है़. हालांकि, लोगों के द्वारा किए गए अतिक्रमण तथा लगातार नालियों के पानी के सरोवर में गिरने से पानी गंदा हो चुका है.
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